Pratik Bhartiya   (प्रतिक भारतीय)
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Joined 25 January 2019


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28 NOV 2021 AT 10:00

लोगों की राय से अधिक
अपनी शांति को महत्व दीजिए..!

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27 NOV 2021 AT 9:35

वो जो जिम्मेदारियां समझते है ना, वो अपने घर वालों पर बोझ नहीं बनते कभी..उनका काम चल जाता है कम खर्च में भी, वो अपनी ख्वाहिशों को डाल देते है आने वाले समय के लिए।
घर का सहारा बनने वाले लोग फिजूल खर्ची और दिखावे में पैसा नही उड़ाते है। उनके परिवार की मजबूती की वजह असल में वही होते है।

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27 SEP 2021 AT 11:45

मरे हुए रिश्ते को जिंदा करने के लिए..
हमे जिंदा रिश्ते को मारना पड़ा..

क्या ऐसा होता है ' प्रेम ' ??

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26 SEP 2021 AT 18:45

कुदरत से वापस लाया हूं प्यार अपना
खींच के...
इसलिए दस मिनट भी नहीं बांट सकता अपने
बीच के...!

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26 SEP 2021 AT 0:16

समर्पण तब घटने लग जाता है
जब महत्त्व घटने लग जाता है..

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24 SEP 2021 AT 1:35

समझदार व्यक्ति जब आपसे संबंध निभाना बंद कर दे तब समझ जाना चाहिये कि उसके आत्मसम्मान को कहीं न कहीं ठेस पहुँची है....

सभार 🙏

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10 SEP 2021 AT 14:06

है साहस तो कुछ जरा ऐसा बन..
परिवार के लिए ' गणेश ' जैसा बन..
जब वो वचन निभाने पर अड़ जाते है..
तब वो मां के लिए महादेव से भी लड़ जाते है..
#हम_कहिन

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16 MAY 2021 AT 21:04

🙏🙏🙏

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10 MAY 2021 AT 19:48

चरित्र यदि एकाग्र है तो..
लक्ष्य आपका दास बनेगा ही..

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8 MAY 2021 AT 17:54

जीवन में जो हो रहा है , जो हो गया है या जो होने वाला है उसको किस्मत का आधार कह देना केवल हमारी क्षणभर की आत्मसंतुष्टि करता है ।

यदि आप जीवन भर की आत्मसंतुष्टि प्राप्त करना चाहते हो तो आपको कर्म यज्ञ से किस्मत परिवर्तित करना पड़ता है ।

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