नींद बेचकर ख्वाब खरीदेंगे
रेगिस्तान में नाव खरीदेंगे !
तुझे इल्म नहीं हमारे शौक का ,
हम आंखों से महंगे चश्मे खरीदेंगे!!
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अहसास ही काफी है, बात करने के लिए,
हमने कभी यार की तस्वीर नहीं देखी !-
आ बैठ मुझसे बातें कर,
कल तुझे फिर चले जाना है।
शौक तो तुम से ही थे दोस्त ,
अब तो बस दिल बहलाना है।।
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तुम फूल हो,तुम से ही गुलाल बना है,
तुम रंग हो,जिससे यह चित्र बना है!
बुरा ना मानो प्रीत से मेरी,
तुम राधा हो,तुमसे ही तो कृष्ण बना है!!
#Pratikpoetry
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तुम फूल हो,
तुम से ही गुलाल बना है।
तुम रंग हो ,
जिससे यह चित्र बना है।।
तुम किताब हो,
जिसने ये साहित्य रचा है।
तुम आवाज हो,
तुमसे ही संगीत बना है।।
तुम राधा हो,
तुमसे ही तो कृष्ण बना है।
तुम स्त्री हो,
तुम से ही संसार बना है।।
#pratikpoetry
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रेगिस्तान सी धूल बहुत है, करते हैं थोड़ा साफ अभी,
तुम सारे सॉवन संभाल कर रखना, बरसेंगे एक साथ कभी !-
तेरी मेरी यादो की यही है कहानी ,
ढलता हुआ सुरज और बहता हुअा पानि ।-
सूरज सूखा देगा सारी नदियों को,
जिंदगी को गिला रखने के लिए चांद भी जरूरी है-
हमने उस बस का इंतजार किया
जो समय पर कभी आई नहीं,
और जब आई और बैठे,
तो पता ही नहीं था कि जाना कहां है,
और जब पता चला जाना कहां है,
तब तक बस आगे निकल चुकी थी।-
मैं मिलूंगा तुमसे....
रातो की नींदों में
मिलने की उम्मीदो मे
सूरज की लाली में
चाय की प्याली में
धूप की बदहाली में,
सावन की हरियाली में
होली के रंगों में
प्यार की उमंगों में
कॉलेज की यादों में
लाईबरेरी की किताबों में
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