एक पेड़ है,
पीपल का पेड़।
नदी के किनारे,
धाराएं पास से गुजरती है,
बिलकुल उसके जड़ों को कुरेदते हुए,
जिन्हें उसे सींचना था वही उन्हें खोखला कर रही हैं, धीरे-धीरे निरंतर...-
दो सूती सफ़ेदपोशों के बीच का सफ़रनामा है।'
🌼A student
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छठ कोई पर्व नहीं है ये हमारा अस्तित्व है।
छठ में जीवन का मूल छुपा है, जब पंचमहाभूत, पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश और वायु, साथ होते है तब हमारा अनुष्ठान सफल होता है।
छठ हमे सह अस्तित्व सिखाता है, आम दिनों में उपेक्षित भूमिज सूथनी से लेकर सबसे ऊंचे बांस तक, खट्टे नींबू से लेकर मीठे गन्ने तक, नारियल, सिंघाड़ा, शरीफा, मेवा से लेकर अदरक, हल्दी, मूली जैसे दैनिक खाद्य पदार्थ सभी साथ में आवश्यक है।
छठ हमारे पूर्वजों की सबसे बड़ी आध्यात्मिक भेंट है जो हमें हरवर्ष आत्म निरीक्षण का अवसर देता है और मौलिक, प्राकृतिक और आत्म संयमित जीवन जीने को प्रेरित करता है।-
ये बारिश की बूंदे नहीं हैं,
प्रेमपत्र हैं,
जो आसमां ने लिखे हैं,
धरती के लिए।-
खलिहानों में उग आना तो स्वाभाविक है,
जिजीविषा तो पहाड़ी पेड़ों में होती है।-
आसमां का मन भर आता है
और बारिश होती है,
फिर भरता है,
फिर बारिश होती है;
और हम कहते हैं मौसम साफ हो गया।-