ये दरवाज़े हमसे अब रूठे हुए हैं
हर बार तोड़े गए, तो टूटे हुए हैं
कर रहे मरम्मत अब हम दरवाज़े की
कि चंद ही लम्हें घर पर छूटे हुए हैं।-
ये बीमार बादल बस बिस्तर पर पड़े रहे
बुलावे आते जाते, ये नींद पर अड़े रहे ।
मेरा घर कहता "बस अब जाग जाओ,
मेरा बिस्तर छोड़ कहीं भाग जाओ ।
मेरे झरोखों से तुम दूर हट जाओ
गरजना मत, बस अब फट जाओ ।"
देखो! आज ये बात मेरी मान गए हैं
बरसना सही है ये जान गए हैं ।
ये मेरी खिड़की के काँच आखिर टूट ही गए
बांधे पूल के पत्थर फिर फूट ही गए ।
गीला है घर मेरा अब और आना मत
ये दरवाज़े भी मुझसे अब रूठ ही गए ।
ये कहते हैं कि इन्हें अब बंद ही रहने दूँ
ना खुद कुछ कहूँ ना किसीको कहने दूँ ।
है कलम भी कहती कि सैलाब बहने दूँ
लिखना विखना छोड़ अब बस रहने दूँ ।
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One day before going back to hostel after vacation , me (hosteller):-
यूँ जो लेटे लेटे ख़्वाब देखती हो वो आ जाता है क्या
अश्क ए चश्म से सपने सेंकती हो वो आ जाता है क्या
सुना है मीलों दूर रहता है वो
ये जो फोन को गले लगा लेती हो वो आ जाता है क्या
ना तो तार ना ही कोई ख़त
ये जो डायरी में नाम लिखती हो वो आ जाता है क्या
इंतज़ार बड़ा करती हो तुम
ये जो आएगा आएगा करती हो वो आ जाता है क्या-
आखिरकार इक बसर सर-ब-सर चाहिए
हर कमरे पे मुझे मेरा असर चाहिए।
शायद मेरे घर चराग़ों का जलना अब मयस्सर नहीं
पर चाहिए इक लौ, भले बेअसर चाहिए।
झूठे लगते हैं मुझे ये खूबसूरत मकानें अब
मेरे बसर में कुछ तो मुझे कसर चाहिए।
बहुत महकाए कमरे सूखे गुलों से अबतक
हर चौखट पे मुझे मेरा अतर चाहिए।
देख लो जमी धूल फर्श पर, फिर घर करना
कि मुझे आगे ना अगर ना मगर चाहिए।
सुना है चलते हैं ये पैर मंज़िलों तक ही
मुझे मंज़िलों से आगे इक सफ़र चाहिए।
घर अंधेरा है मेरा तो क्या!
मुझे रौशन सा मेरा इक क़बर (क़ब्र) चाहिए।
हाँ मालूम है आग की औकात नहीं
बस ज़रा सी लौ भर पसर चाहिए।
बड़े बेताब हो 'बेबाक' तुम ख़ाक होने को
जल्दी ही तुम्हें अब हशर (हश्र) चाहिए।
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.... and it came again,
with the same needle
piercing there every vein.
Yes, there in the abdomen
Oh! With pain she is dying
Under the blanket she is crying— % &-
Showing masculinity with
His unbuttoned shirt,
He passes comments on every girl
Doesn't matter even he rapes,
Is imposed driving licence
And says the society," He's eighteen"
Adorned a little less and
Tied far more with anklets,
Every while veiled she is,
Bound to widen her dupatta little more,
Is gifted marital eligibility,
Stating equality here also
Says the society,"She's eighteen"
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ये गलियाँ सारी सो रही हैं
ये रातें मेरी रो रही हैं ।
यादों को तेरी, आँसू से
ये आँखें मेरी धो रही हैं ।।-