प्यार की चाहत में एक बार फिर चल दिए जब वो मिला तो हम फिर से मुस्कुरा दिए इश्क में हँसने से ज्यादा रोना होता है साहब ये समझाने को मेरे आँसू चल दिए गलती ना मेरी थी, ना उनकी खता थी मोहब्बत इतनी थी कि हम बस रो दिए आज भी उतना ही प्यार करते है तुझसे इस दर्द भरे दिल से हम फिर से हँस दिए
मुस्कुराहट सी थी उन बातों में, जिन्हें आज याद करके हम रोते है अपनापन था उन हालातों में, जिनमें आज खुद को अकेला पाते है जुड़ी थी जो रिश्ते की डोर तुझसे, वो मुझको कुछ ऐसे तोड़ गयी चमक जाते थे जो तेरी बाहों में, वो नैना आज यूँ ही छलक जाते है
Loneliness Is not the word in which one want to gain sympathy from others It's a feeling in which one wants someone special for a hug in both happiness and sadness
जाकर के उनकी बाहों में, मुझको जन्नत सी मिलती है उनके लबों से निकले शब्दों से, कानों में मिश्री सी घुलती है आईने की क्या जरूरत, उनकी आँखों में खुद को निहारती हूँ साँसें जब उनसे मिलती है, दिल की धड़कन बढ़ उठती है
इन निगाहों से इस दुनिया को ना देखो साहब झुक के जब उठती है तो बस लाल रंग ही दिखता है ना समझो हमको कातिल इस लाल रंग के धोखे मे कमबख्त रोते रोते इन आँखों में ही ये रंग उतरता है
इंसानों से भरी इस दुनिया में, इंसान ही अकेला क्यूँ है प्रेम की भाषा छोड़कर, पैसे के लिए मतवाला क्यूँ है वफादारी में तो जानवरों ने मानव को पीछे छोड़ दिया "मैं मनुष्य हूँ" यह बोलकर तू, इतना इतराता क्यूँ है
कभी-कभी अकेले रहने का दिल नहीं करता तुम्हारे सिवा किसी भी चीज में मन नहीं लगता याद करती रहती हूँ संग बिताए वो लम्हें अपने उस दर्द में इस अकेलेपन का मलाल नहीं रहता