Pratibha Pujari  
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Joined 22 July 2019


Joined 22 July 2019
31 MAR 2022 AT 2:29

इफ़्फ़्त- ए- मोहब्बत हो गयी है तुमसे,
इबादत है एक दफ़ा मुलाकात हो जाए।

जिस्म की तमन्ना सभी करते हैं,
तुम्हें मेरी रूह पे ऐतबार हो जाए।।

आब -ए- आइना सी है सीरत तुम्हारी,
डर है इस इश्राक़ में हम खो न जाएं।

अभी वक़्त है तुम्हें बे-नज़ीर बनने में
मगर अज़ीज हो तुम मेरे लिए,
चाहत मेरी ये इस्बात बन जाए।।

ज़ाहिर है फ़साना हमारा कुछ तो ख़ास होगा
तसव्वुर ये तुम्हारा,
एक हकीकत बन जाए।।

आरज़ू है इक रोज़ ऐसा भी हो
आगोश में लो तुम,
और दिन से रात हो जाए।।

इफ़्फ़्त- ए- मोहब्बत हो गयी है तुमसे
इबादत है एक दफ़ा मुलाकात हो जाए।।

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21 AUG 2019 AT 19:15

अप्सराएं तो बहुत हैं इस नगर में
पर देख नहीं पाते हैं
गर मिल जाएं नजरें गलती से
तो वे खफा हो जाते हैं
खता माफ़ करने की
फिर आरज़ू ना कर पाते हैं
अप्सराएं तो बहुत हैं इस नगर में
पर देख नहीं पाते हैं।।

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3 MAY 2021 AT 19:04

छोड़ दिया साथ ये कह कर कि तुम धीरे चलती हो,
बाद उसके मैंने वो हाथ थामा ही नहीं!

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2 MAY 2021 AT 9:40

वो कहती है कि हम अब बात नहीं करते,
किसी हंसी- ठिठोली की शुरुआत नहीं करते,
हम तो ठहरे हैं उसी जगह पर,
जाने वाले को शिकायत है कि मुलाकात नहीं करते!

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14 APR 2021 AT 22:30

जैसे सच था मेरे लिए,
और मैंने सारे राज़ बोल दिए।
मैंने देखा कुछ और पाया कुछ और
उस प्यारी सी मुस्कान के पीछे
क्यूं आंख मूंद चल दिए।
उसने तो जज़्बात को भी तौलना चाहा,
और हम उसके हाथों के
तराजू बन गए।
उसका न साथ चाहा था,
न ही उससे आस थी कोई
कहने पर उसके ही,
बेमतबल अरमान बुन लिए।
मैंने तो एक दफा भी नहीं कहा
कि मोहब्बत है तुमसे
बावजूद इसके इल्ज़ाम सर मेरे मढ़ गए।
एक अधूरा-सा लगाव ही तो था उससे,
जो पूरा होने से पहले ही मिट गए।
तुम वो शक्सियत थे ही नहीं
जिसकी चाहत में शिद्दत हो,
सोच कर बात ये,
राहत की सांसे भर लिए।।

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14 APR 2021 AT 0:44

शुक्र है हम ईद का चांद हैं,
गर रोज़ दिख जाते
तो यूं दीदार को न तरसते।।

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11 APR 2021 AT 23:13

Sometimes it's better to be happy and hide your inner pain somewhere deep inside with a smile on your face ❤️

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10 MAR 2021 AT 8:44

I believe in letting go if someone is so much comfortable and happy with the third person♡

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2 OCT 2020 AT 12:00

अनजाने से आए थे जो
इस दिल की गली,
खबर कहां थी
हमकदम बनकर निभा जाओगे रिफ़ाकत भी।

जितना चाहा था, उससे भी ज्यादा
मोहब्बत किया तुमने
खुशी की सुहानी सुबह हो
या अहज़ान की ढलती हुई शाम,
साथ होने का वादा दिया तुमने।
बस एक यकीं ही तो चाहिए तुम्हारा मुझ पर
वरना मोहब्बत है तुमसे और रहेगी कल भी।।

महज़ एक जज़्ब नहीं तुम मेरे लिए
पाकीज़ा एहसास का तुमसे नाता है।
हर छोटी-छोटी खुशियां मैंने
तुमसे ही तो बांटा है।
फ़ासिला चाहे फलक की ज़मीं से हो
या मेरी तुमसे, है तो बे- इख़्तियार ही
असहय इन दूरियों का आयेगा इक इतवार भी।।

अनजाने से आए थे जो
इस दिल की गली
खबर कहां थी
हमकदम बनकर निभा जाओगे रिफ़ाकत भी।।

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8 JUL 2020 AT 13:49

ग़म के रास्ते पर
मुस्कुराहट लिए चलते देखा है,
कई मुश्किलें हैं जीवन में
उनसे लड़ते देखा है,
हां तुम वो रोशनी हो
जिसे परिवार के लिए जलते देखा है।।

लक्ष्य है जिसका
एक फ़ौजी बनना,
उस सपने के लिए,
तुम्हारा समर्पण देखा है।

भले कम होने लगी हैं बातें हमारी,
पर जब भी हो सबको हंसाते देखा है।
यार उस एक घंटे की गुफ्तगू में,
बातों का पिटारा खोलते देखा है।

इस जन्मदिन पर मिले ढ़ेरों खुशियां
हो साकार हर ख्वाब जो तुमने देखा है।।

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