💟प्रतिभा उवाच💟
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वक्त कभी भी... किसी का भी ..❤️ लेखिका
पलट सकता है...!!❤️ प्रतिभा
कब सामान्य से ....❤️ द्विवेदी
असामान्य बन जाओ....❤️ उर्फ
कुछ कह नहीं सकते...!!❤️ मुस्कान😊
❤️❤️💓💓💔💕💖💖💖💖💖💖💖
लेखिका--प्रतिभा द्विवेदी उर्फ मुस्कान©
सागर मध्यप्रदेश ( 13 मई 2019 )
मेरी यह रचना पूर्णता स्वरचित मौलिक व प्रमाणिक है सर्वाधिकार लेखिका के हैं इसके व्यवसायिक उपयोग के लिए लेखिका की लिखित अनुमति अनिवार्य है धन्यवाद- प्रतिभाद्विवेदी मुस्कान©
13 MAY 2019 AT 13:58