Pratibha Dwivedi   (प्रतिभाद्विवेदी मुस्कान©)
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इंस्टा आई डी -@pratibhadwivediurfmuskan
You tube channel , Pratibha Dwivedi urf muskan
Joined 9 January 2019


इंस्टा आई डी -@pratibhadwivediurfmuskan
You tube channel , Pratibha Dwivedi urf muskan
Joined 9 January 2019
14 MAR AT 14:31

*हैप्पी होली 2025*
मौका भी है दस्तूर भी है मौसम भी है।
फिर आ गई है होली जश्न का टशन भी है।
तो क्यों रहे कोई चेहरा मुँह फुलाया हुआ।
गले लगा लो मिलने मिलाने का चलन भी है।

गिले-शिकवे मिटा लो मन से मन मिला लो ।
मान मनुहार के रंगों से बिगड़े रिश्ते बना लो।
रंग फिर से प्यार वाला चढ़ जाने दो रिश्ते में ।
होली तो अपनापन जताने का जश्न ही है ।

नैनों से नैन मिलने दो प्रेम के बैन कहने दो।
सभी संकोच की बातें अजी अब आज रहने दो।
मनाही है तो बस केवल नफरतों की बातों की ।
प्रेम परवान चढ़ाने का तो होली माध्यम भी है।

तो बन जाओ दबंग थोड़े मनों का मातम हर लो ।
जो चेहरा लटका हुआ मिले खुश उसे कर दो ।
"मुस्कान" के रंगों से लबालब कर दो सभी चेहरे।
मुस्कान फबने दो चेहरों पर होली का मौसम है।
✍️प्रतिभा द्विवेदी मुस्कान©
सागर मध्यप्रदेश भारत
( 14 मार्च 2025 )

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25 JAN AT 22:53

*गणतंत्र दिवस की शुभेच्छा*
एक अच्छी संतान ही सच्ची देशभक्त और योग्य नागरिक बन सकती है। पहले मातृ पितृ भक्त बनो अच्छे नागरिक और देश भक्त अपने आप बन जाओगे, क्योंकि जो अपने कुल खानदान का सिर ऊंँचा नहीं कर सकता वो देश का गौरव क्या खाक बढ़ायेगा?? अपने ही घर परिवार में एकता और प्रेम भाव बढ़ा लो देश में भाईचारा हो जायेगा। पहले स्वयं नशा छोड़ो देश नशा मुक्त हो जायेगा । संविधान लागू हुआ ये बड़ी बात तो है लेकिन इससे भी बड़ी बात है भविष्य में भी देश अपने संविधान के अनुसार चल सके,, क्योंकि नीति नियम ताक में रखकर दाऊ गिरी में पौआ चढ़ाकर अकड़ कर अधिकांश लोग अभी चलते हैं तो भविष्य तो चौपट ही दिख रहा है अभी.. अब एक दिन में भोंपू बजाकर भाषण बाजी करने से कुछ नहीं होगा, एक दिन का जोश एक दिन में ही ठंडा हो जायेगा। कानून की नाक के नीचे अभी अपराध हो जाते हैं तो गणतंत्र है कहाँ ?? जो हम गर्व से कह सकें ........
🙏✍️हैप्पी रिपब्लिक डे 🥳💐
*गणतंत्र दिवस की समस्त देशवासियों को अनंत शुभकामनाएंँ*💐 💐
✍️प्रतिभा द्विवेदी मुस्कान©
सागर मध्यप्रदेश भारत
( 25 जनवरी 2025 )

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28 DEC 2024 AT 19:28

*सलीका जीने का*
लव यू के फेर में जमाना पड़ा है..
फिर भी दिलों में अपनेपन का ठिकाना नहीं है ..
छापा मारकर ही सही सोना मिल तो रहा है ..
कुछ इंसानों में इंसानियत का अता पता ही नहीं है!!

अजब दुनियाँ हुई साहब मुखौटा हर चेहरे पर लगा है।
असल है क्या? नकल है क्या? भेद मिलना ही मुश्किल है।
इसी में जी रहे हैं सब इसी में मर रहे हैं सब..
खींचातानी है जोरों की यही ढर्रा चल निकला है ।

दिखावटी हो गये सब लोग पानीदार नदारद है..
चल रही रेलमपेल यही बनी जीने की आदत है !!
किस पर कौन करे उँगली झोल में पोल सबके है,,
किसी की कट चुकी पूरी किसी की कटनी बाकी है।

हकीकत यही है अब सबकी अपवाद बिरला ही कोई है।
असल मायने में ये दुनियाँ मगर अपवादी पर टिकी है ।
मुस्कान कोई तो समझे सलीका जीवन का है क्या??
अभी भी देर नहीं हुई जीवन जीवंत बनाने में!!!
✍️प्रतिभा द्विवेदी मुस्कान©
सागर मध्यप्रदेश भारत
( 28 दिसंबर 2024 )

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28 DEC 2024 AT 18:08

*परिवार में नवाचार*
नवाचार उसी को कहते हैं जो पहली बार होता है..
सबके हित में होता है कोई बिरला ही करता है..

तो क्यों ना नवाचार परिवार में किया जाए..
सास-ससुर को मात-पिता,बहू दामाद को औलाद माना जाए..

नये ही नजरिए से रिश्तों को आँका जाए ...
जो नहीं किया किसी ने वो करके दिखाया जाए..

समाज में अपनेपन का नया दौर लाया जाए..
दरकते टूटते रिश्तों में हार्दिक प्रेम संजोया जाए..

वैसे भी नामुमकिन जहाँ में कुछ भी नहीं है..
क्यों ना कोशिश करके परिवार एक बनाया..

हर आदमजात में कहीं न कहीं इंसान छिपा है,,
तो इंसान को इंसान की नजर से देखा जाए...
✍️प्रतिभा द्विवेदी मुस्कान©
सागर मध्यप्रदेश भारत
( 28 दिसंबर 2028 )

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28 DEC 2024 AT 14:39

*कोशिश तो करो*
करो कोशिश कि ससुराल मायके जैसा बन जाए..
जितना लाड़ मायके में मिला ससुराल वालों से मिल पाए

ससुराल वालो भी बहू को बेटी समझ लो..
कि तकरारों का सिलसिला परिवारों से विदा हो जाए.

यहीं स्वर्ग है यहीं नर्क है, बस सोचने का फर्क है..
दिल मिला लो सभी से, कि जीना सरल हो जाए..

सारे हुनर हैं बेकार जो दिल जीतना नहीं आया
करो कुछ तो अतरंगी कि सबके दिल में जगह मिल जाए.

दिलों में बसने का हुनर सभी के अंतस होता है
कभी देखा है फूलों को महकना भी सिखाया जाए..

जीवन सफ़ल भी वही है हर दिल अजीज जो बन सके
क्यों ना शुरुआत करें घर से एका घरों में हो जाए..

यादों का घरौंदा बना कर विदा परिवार से हम हों
बिछड़ने में हमसे सभी को रोना दिल से आ जाए..
✍️प्रतिभा द्विवेदी मुस्कान©
सागर मध्यप्रदेश भारत
( 28 दिसंबर 2024 )

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14 DEC 2024 AT 22:35

*बात पते की है*
पहले के जमाने में औलाद बुढ़ापे की लाठी हुआ करती थी,,
मगर आजकल औलाद का भरोसा सौ टंच का नहीं रहा...
इसलिए बुढ़ापे में तगड़ा बैंक बैलेंस का होना बहुत जरूरी है.... पैसे की ताकत भी बहुत बड़ी ताकत है जर्जर तन का समझो रक्षा कवच है , इसलिए पैसे जवानी में फिजूल उड़ाना नहीं, बेटा-बेटी हो या ना हो मगर धन रूपी सहारे को मरते दम तक संजोकर रखना... गँवाना नहीं ताकि बुढ़ापा सुकून से गुजरे और मरण भी आसान रहे । क्या है बचपन और जवानी तो अभाव ग्रस्त भी गुजार सकते हैं शारीरिक बल के सहारे लेकिन बुढ़ापा अभाव ग्रस्त गुजारने में तन और मन दोनों टूट जाते हैं और मृत्यु से पहले लोग काल के गाल में समां जाते हैं ।
✍️प्रतिभाद्विवेदीमुस्कान©
सागर मध्यप्रदेश भारत
(12दिसंबर2024)

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14 NOV 2024 AT 15:17

हैप्पी चुन्नू मुन्नू डे
बाल गोपाल नन्हे नन्हे
धमाचौकड़ी करते रहो ।
है ऊधम करना अधिकार तुम्हारा
धमाल शमाल करते रहो
हैं बड़ा कमाल का जीवन बचपन
अपने इस पन का आनंद लेते रहो ।
हैप्पी बच्चा दिवस बच्चों
🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉
✍️प्रतिभाद्विवेदीमुस्कान©
सागर मध्यप्रदेश भारत
( 14 नवंबर 2024 )

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5 NOV 2024 AT 23:05

तोहफे का उन्होंने मोलभाव कर लिया,,
पसंद नापसंद की उस पर मुहर लगाकर ‌‌।
✍️प्रतिभा द्विवेदी मुस्कान©
सागर मध्यप्रदेश भारत
( 05 नवंबर 2024 )

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5 NOV 2024 AT 22:25

जो रिश्तेदारी में नाक ऊंची करके रखते हैं..
अक्सर उन्हीं की नाक के नीचे से
रिश्ते खिसकते हैं ।
✍️प्रतिभा द्विवेदी मुस्कान©
सागर मध्यप्रदेश भारत
( 02 नबंवर 2024 )

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17 OCT 2024 AT 22:06

*दान*
कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो आश्रमों में तो दान देते हैं लेकिन अपने ही करीबी रिश्तेदार भाई बंधु अगर आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं तो उनकी मदद न करके उनकी खिल्ली उड़ाते हैं । अब ऐसे दानियों का दान भगवान लेंगे क्या??
जो अजनबी पर तो सदावर्त लुटाते हैं और अपने ही सगे संबंधियों की मदद नहीं करते हैं... अरे जरूरी है कि दान आश्रमों में ही दो , अपने ही किसी गरीब रिश्तेदार की विवाह योग्य बेटी का विवाह करा दो , आसपास किसी होनहार बच्चे की फीस भर दो , ये भी तो दान ही है । अब दान देकर अपनी फोटो खिंचवाना है, ढिंढोरा पीटना है,तो बात अलग है..
✍️ प्रतिभा द्विवेदी मुस्कान©
सागर मध्यप्रदेश भारत
(17 अक्टूबर 2024)

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