Pratibha Chauhan   (प्रतिभा चौहान (MENTAL))
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Joined 31 December 2020


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9 MAY AT 7:44

हिंद की शांति पर शक न किया करो दोस्तो
थोड़ा सा धैर्य और सब्र भी किया करो दोस्तो
शौर्य ही मेरा, कल का साहित्य बन जाएगा
बस
पराक्रम की रात्रि और भोर के शोर की प्रतिक्षा किया करो दोस्तो ।।

भारत माता की जय
जय जवान जय सैनिक जय पराक्रम

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10 APR AT 17:27

आओ प्रिये, आओ आराम से बैठ जाओ ।
अपने हृदय की वेदना, तुम अन्दर न छुपाओ ।।

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6 APR AT 14:42

मित्र से छल करके अपना मुकद्दर जब रूठ जाता है ।
साक्ष्य देख लो सुदामा से अपना कृष्ण छूट जाता है ।।

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5 APR AT 17:35

कोई नमक लिए बैठा, कोई घाव सिल रहा है,
इस वक्त को देखो, सबसे यूहीं मिल रहा है ।।
कुछ को तो हृदय का अनुराग मिल ही गया,
कोई अभी अपनी चाहत जानिब सकिल रहा है।।

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30 MAR AT 18:08

जब स्त्री प्रगति मार्ग की सीढ़ियां चढ़ती है
तब सबसे ज्यादा पुरुषों को ही गढ़ती है ।
संग सभी चाहते हैं एक स्त्री का,
जब वनिता पतंग की डोरी से चांद को बढ़ती है ।।

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28 MAR AT 9:34

लक्ष्य की तलाश में हैं ये नयन,
या किसी की प्रतीक्षा में हैं ।।
प्रत्यक्ष दूरदृष्टि लिए हैं आंखों में,
या मन ही मन किसी परीक्षा में हैं ।।

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27 MAR AT 14:03

मन तो सबका चलायमान है
ऊंचाईयां वही छूता है जिसमें मेहनत विद्यमान है।
भगवान को खोजने, संसार में भटक रहे हैं
अरे मित्र देखो तो कण कण में भगवान हैं ।।

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27 MAR AT 14:00

मुस्कुराते चेहरे भी गंभीर होते हैं
हंसने वाले भी कभी अन्दर से रोते हैं ।
आंखों में अनगिनत सपने लिए बैठे हैं यहां
तू समझ मेरे दोस्त
देखो तो इन निगाहों से प्रदर्शित होते हैं ।।

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27 MAR AT 6:41

देख पहाड़ की ऊंचाई, तुम राह बदल न लेना
देख समंदर की गहराई, तुम राह बदल न लेना ।
ऊंचाई और गहराई, दोनों मंजिल को ले जाते हैं
अब देख रात्रि की परछाईं तुम राह बदल न लेना।।

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26 MAR AT 5:55

मुस्कुराते चेहरे भी गंभीर होते हैं
हंसने वाले भी कभी अन्दर से रोते हैं ।
आंखों में अनगिनत सपने लिए बैठे हैं यहां
समझो तो इन निगाहों से प्रदर्शित होते हैं ।।

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