पन्नों में ज़िंदगानी हैं
अपनी लिखी हुईं कहानी हैं
फिर भी दिल बेताब हैं
ये ज़िंदगी की किताब हैं-
रात से पहले आने वाली
दिन के बाद गाने वाली
आगाज़ और अंजाम के दरम्यान खोई हुई
न जाने कितने निंदियों का बोझ ढोई हुई
फिर शाम आई
ग़म में होंसला देने वाली
नफरत से फासला रखने वाली-
यही शहर की इसी गली का एक बाशिंदा हूँ
मैं कोई खास शख्स नहीं ना ही किसी का पसंदीदा हूँ
सादगी और सरल जीवन का नुमाइंदा हूँ
पर आज कल के हालत पर शर्मिंदा हूं-
क्या हैं तेरा मुकद्दर, तू महज एक कश्ति हैं
बीच मझधार होने में ही तेरी हस्ती हैं
वो लोग जो अपनी तकदीर पर रोते हैं
अक्सर किसी किनारे पर बसे होते हैं-
In the remotest of shelves
Of my closetted mind
It was lying there, all by itself
Without a ray of hope
Dwindling in despair day by day
I was lost looking for something
I dug up my emotional closet
And I found a path that brought out
“A forgotten dream”-
Every thinking mind
Loneliness becomes solitude
for some
Or an endless dark tunnel
for others
Someone who is alone is
supposed to be lonely
But more often than not
someone surrounded by people
finds himself lonely
Mere presence of someone
won't end your loneliness
You need a purpose-
कभी संदेश बनकर खत में समा जाते हो
तो कभी तहरीर बनकर रोजनामे में दर्ज हो जाते हो
कभी किसी के नौकरी की अर्जी बन जाते हो
तो कभी दस्तावेजी धोका और फर्जी बन जाते हो
किसी के कहानी की किताब बन जाते हो
तो अमूमन किसी के अनकहे जज़्बात बन जाते हो-