अपनी लिखावट से अपने जज़्बात बयां करता हूं सुख हो दुख हो हालात बयां करता हूं मुझे तकलीफ में देख कुछ लोग मुस्कुराते हैं वह कोई और नहीं हम उन्हें अपने कहलाते हैं ।
कब तक सिर्फ मोमबत्ती के सहारे इंसाफ मांगेंगे कब तक ना जाने वह दरिंदे बेखौफ घूमेंगे ना जाने कब हर एक औरत सुकून से घर लौटेंगी ना जाने कब हमें इस से आजादी मिलेगी |