Prateekshya Mishra   (Prateekshya..✍️)
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Joined 27 June 2017


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Joined 27 June 2017
23 APR AT 0:14

ख्वाबों को अपने पल पल मरते देखा है
मैंने कोशिशें तो खूब की
पर हर दफा खुदको हारते देखा है ।।

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2 APR AT 16:00

देखना एक रोज सब सही हो जाएगा ,
और तुम्हें ज़िंदगी से कोई शिकायत नहीं रहेगी ।।

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13 FEB AT 18:47

तुमने माथे पे चूमा तो शिकन सारे मिट गए ,

मुझे याद ही नहीं रहा कब दर्द मेरे घट गए ।।

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3 FEB AT 18:08

इक तेरी खुशी के खातिर तुझसे दूर हो गए ,

तुझे सही साबित करने की खातिर खुद को गलत ठहरा दिए ।।

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24 JAN AT 15:58


उससे उम्मीद कभी ख़त्म ही नहीं हुई,

मुझे हमेशा लगता रहा की उसे कभी तो मेरी परवाह होगी ।।

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19 JAN AT 13:57

औरों के ज़िंदगी संवारते संवारते तुम खुद पे ध्यान देना भूल गए ,
तुम तो सबके दोस्त बने फिर तुम कैसे तनहा रह गए।।

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17 JAN AT 21:05

टूट के उसे चाहना शायद यही मेरी सबसे बड़ी गलती थी ,
अब शिकायत भी किस से करूं मुहब्बत की उम्मीद भी तो मैंने की थी ।।

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13 JAN AT 14:08

तुझसे मुहब्बत तो नहीं पर नफरत भी नहीं है,

तू मुझसे जुदा सही मुझमें कहीं मौजूद है ।।

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11 JAN AT 16:50

जो होना है होकर ही रहता है
हर बार हमारी मर्जी नहीं चलती,

खुदा हमसे बेहतर भी इसी लिए छिन लेता है
के वो हमें बेहतरीन से नवाज सके ।।

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10 JAN AT 15:36

इस हकीकत के साथ अब मुझे ज़िंदगी गुजारनी है ,
तुझे ना कभी मेरी परवाह थी और ना कभी होगी
ये बात खुदको समझानी है ।।

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