Prateek Mewara   (Prateek Mewara)
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Joined 14 February 2021


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Joined 14 February 2021
30 NOV 2024 AT 23:26

बेकद्री की बातें यूं ना किया करो
कुछ राज हमारे पास भी है
कुछ तुम बोल रहे हो
कुछ बात हमारे पास भी है
हमारे चुप रहने को तुम क्या समझ बैठे
जनाब ख्याल रखिये जुबाँ हमारे पास भी है

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9 JAN 2024 AT 22:16

सब कुछ होते हुए भी कुछ ना होना कैसा होता है ना
पूरी दुनिया हो आपके पास सिवाए उसके कैसा होता है ना
आप ढूंढते रहो उसको हर जगह पर वो ना मिले कैसा होता है ना
आपके ख्वाब में वो करीब हो पर हकीकत में ना जाने कितने दूर कैसा होता है ना
किसी से आप प्यार करो और वो आपको ना मिले कैसा होता है ना
एक तरफ़ा होता प्यार अगर तो ठीक था ये जुदाई भी सह लेते
मगर जब पता चले उसे भी आपसे मोहब्बत है फिर भी वो ना मिले तो कैसा होता है ना

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9 JAN 2024 AT 0:55

बस उसका हो बैठा हूं

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9 JAN 2024 AT 0:04

तुझे मैं अपना बना बैठा,
ये दिल तुमसे लगा बैठा,
अपना सब कुछ हार गया मैं तुझ पर,
और तू मुझे अपना बना बैठा

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8 JAN 2024 AT 19:13

तेरी आँखों में एक अजीब सी दीवानगी है
तेरे होठों पर एक प्यारी सी हंसी है
मेरी नज़रे हटे तो हटे कैसे तेरे चेहरे से
ये तेरे उलफ़त की खुमारी है

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17 NOV 2023 AT 0:38

मेरी मोहब्बत की एक ख़ता बता दो
आज मुझे मेरी सारी ग़लतियाँ समझा दो
मैं तो ये नादानियां भी छोड़ दूंगा
तुम मुझे बस एक बार अपना बना लो

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9 NOV 2023 AT 22:24

काश हम भी तुम्हें यूं प्यार कर पाते
जैसे तुम मुझे चाहते हो वैसे तुम्हें चाह पाते
सुना है कांच के टुकड़ों को समेटने में माहिर हो
काश हम वो टुकड़े ही बन पाते
मगर क्या करे हमसे ऐसी मोहब्बत होती कहा है
हम तो आशिक हैं हमसे दगा होती कहा है

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2 OCT 2023 AT 23:31

अनकही, अनसुनी कुछ तो बात रही होगी
दिलों से खेलने की उनकी ख्वाहिश रही होगी
ऐसे तो कोई नहीं जाता छोड़ कर
लगता है ये उनकी आदत रही होगी

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28 SEP 2023 AT 23:17

मैं
क्या हूं मैं या कौन हूं मैं
किसी के लिए उसका सब कुछ तो किसी के लिए कुछ भी नहीं
किसी के लिए प्यार तो किसी के लिए दुत्कार
किसी के लिए उम्मीद तो किसी के लिए निराशा
किसी के लिए उसकी दुनिया तो किसी के लिए दुनिया का अंत
इन्ही सब उलझनों में खुद को कभी ढूंढ ही नहीं पाया
हमेशा खुद को किसी ना किसी के लिए बचाता रहा
जब कोई मिला जिसके लिए खुद को खर्च करना चाहा
पर वो तैयार ही नहीं हुआ मुझे पाने के लिए
मैं तो उसे पूरे मन से अपना मान चुका था ना
तो आख़िरकार वही हुआ जो होता आया था
मैं फिर खुद को उसमे भूला बैठा
और फिर खुद को ढूंढना बाकी रह गया
जिस सवाल से बात ये शुरू हुई थी
फिर वही ख़तम हो गई
आप जवाब दे सको तो दे देना
क्या हूं मैं या कौन हूं मैं

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27 SEP 2023 AT 20:18

मोहब्बत किस हद तक करी थी मैंने
ये रिश्ता किस बुनियाद पर बनाया था
सब कुछ तो साफ था ना मेरी जान
तो खुद को इतनी उलझन में क्यू पाया था
इतने सवाल तो बिना जवाब के छोड़े नहीं थे
फिर अब ये दिल इतना क्यू मचला था
कुछ था या है तो कह दो ना
बिन कहे इतना क्यू तड़पा दिया था
अगर नहीं हु पसंद तो साफ साफ क्यू नहीं कहते
आख़िर मर ही गया ना सब सहते सहते

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