इन जख्मों को मलहम की क्या जरूरत
उसका साया ही काफी है ।
अरे उसका साया तो दूर की बात
अब हाल पूछले वही काफी है ।-
तिरंगा छोटा हो या बड्डा
सिना चॊड़ा कर्के में तेरे आगे खड़ा ।
शाहिद हो गये इस्की इजत बचाने में
कुछ राजनेता अमीर हो गये इसे बेच खाने में ।
पर उही रहना तू हमेश खड़ा
सिना चॊड़ा कर्के में तेरे आगे लड़ा।
Jai Hind...🙋♂️-
तुम पास ना हो तो,
नाजाने कैसी होती है उलझन|
ओर पास होते हुए भी होती है दूरी,
कुछ फासले यूंही बरकरार चलने दो
मगर प्यार रहने दो|
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क्या यादगार थी वह मुलाकात,
जब बातों बातों में बीत जाती थी पुरी रात |
और अब क्या बताऊं!
याद का तो मुझे पता नहीं…
पर कुछ अल्फाजों में ही होती है हमारी बात।-
बादलों को चीर के
मौसम की करवटों को
संजो कर निकलता हूं जरूर!
दाग है मुझ में बहुत
लेकिन रोशन करता हूं जरूर। |-
गैरों को अपनाते हुए
अपनों को भूल गए
अपनो को समझते हुए
सब कुछ खो गए।-
जो दूर थे मुझसे
आज मैं उनके दिलों पे भी छागया।
मेरा काम था कुछ इस कदर
गैरों को भी अपना बना गया।
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औरों को समझते समझते
मैं खुद को भूल गया।
जब मेरेको जरूरत पड़ी
तो हर कोई मेरेको भूल गया।-
मालूम है तु नहीं हो पाएगी कभी मेरी
सोचता हूं क्या खुदगर्जी है
खुदा की तेरी खूबसूरती को देखकर
जब देखती है तेरी मुस्कुराहट मुझको शर्मआकर।-
तेरी परवाह करने में
मेरी कोई बेपरवाही नहीं
वो मुस्कुराता हुआ चेहरा देखने को
इसमें मेरी कोई बेवफाई नहीं।-