Prateek   (प्रतीक)
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खुदी को कर बुलंद इतना के हर तकदीर से पहले खुदा बन्दे से खुद पूछे के बता तेरी रज़ा क्या है
Joined 21 February 2020


खुदी को कर बुलंद इतना के हर तकदीर से पहले खुदा बन्दे से खुद पूछे के बता तेरी रज़ा क्या है
Joined 21 February 2020
22 APR AT 0:09

यूँ ही रातों को बदनाम न करो,
कलेश और कहर भरी धूप में भी होती है।
यूँ ही अपनों पर मोहब्बत लूटाया न करो,
ज़हर और खंजर कभी भी चल सकती है।
यूँ ही जाने की ज़िद किया न करो,
मग़रूर ज़िन्द्गी कभी भी थम सकती है।
यूँ ही कलम को रोका न करो,
कहानी और शेर अच्छी चल रही है, रुकी हुई ठीक नहीं लगती है।

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11 APR AT 22:12

कई उलझनों के धागों से मैंने एक सुलझन बनाया है,
आज खुद को खुद से थोड़ा सा बेहतर पाया है।
कतरा कतरा भले ही न जाने कितने गमों को अन्दर छुपाया है,
सफर के इस पायदान पर मैंने मंज़िल को थोड़ा करीब पाया है॥

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26 MAR AT 2:00

तुम आज़मा कर तो देखो,
तुम इम्तिहान लेकर तो परखो।
ये वक्त यही पैगाम दे जाएगा,
कि तुम्हें मेरा और मुझे तुम्हारा कर जाएगा॥

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26 MAR AT 1:06

मेरे चर्चे भी सुनोगे,
मैं सुर्खियां में रहूँगा उसे भी देखोगे।
मेरा वक्त भले बुरा था, मेरी शिद्दत नहीं,
नाम बेनाम नहीं, काम बड़ा होगा, महसूस करोगे॥

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27 FEB AT 0:56

यूँ ही रातों को बदनाम न करो,
इनमें ज़लज़ला भी है, ठहराव भी है।
तुम कभी रातों में जागा तो करो,
इनमें तन्हाई भी है, जज़्बात भी है॥

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3 FEB AT 22:37

आशिकी होती तो सह लेते ऐसे सितम,
खरोच कितने भी होते करवाते मरहम|
पर ये कैसी उलझन में हमें डाला तुमने जनाब,
कि खातिरदारी करवाकर नहीं देते खातिरदारी का हिसाब।

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31 DEC 2023 AT 2:42

कुछ गीतों से, कुछ गज़लों से ईश्क लगाकर देखिए,
इनमें सज़ा है, इनमें मज़ा है,
इनसे खता है, इनकों दिल का राज़ पता है,
और जितना इन्हें सुनों उतना सुकून से नाता है।

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31 DEC 2023 AT 2:01

खामियों और खामियाज़ों में गज़ब ताल्लुक है,
ये किसी मोड़ पर मिल जाए तो तकल्लुफ़ है।

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25 OCT 2023 AT 14:57

बड़ी मुद्दत से वक्त मिलता है लखनऊ,
शौक यहीं है के कुछ पल और बिताऊं।

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17 AUG 2023 AT 19:21

वक़्त को वक़्त से वक़्त पर वक़्त न मिला,
यह वक़्त था जो वक़्त से वक़्त को ढूंढ़ता रह गया ॥

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