एक तस्वीर में इक माँ है और बच्चे हैं
ये तीन लोग नहीं एक पूरी दुनिया हैं
~प्रताप सोमवंशी-
झूठ की गरदन जब भी फंसने लगती है
लफ़्ज़ों की तरतीब बदलने लगता है
-प्रताप सोमवंशी-
रूठी भी तो कब रूठी हो
अम्मा तुम सचमुच झूठी हो
कितने बाद समझ पाया मैं
कितनी बार कहाँ टूटी हो
सबकी ख़्वाहिश गिन लेती हो
गिनती में बस खुद छूटी हो
घर भर ने उतरन टांगी है
अम्मा तुम भी इक खूँटी हो
हम सब प्यासे खेतों जैसे
तुम जो एक नदी फूटी हो
जादूगरनी तुम हो अम्मा
पल में एक जड़ी-बूटी हो
~प्रताप सोमवंशी
#MothersDay2025-
लौटते हुए
एक शहर ने मुझसे कहा मैं तुम्हें जानता हूं
यही कहा एक जंगल ने
एक नदी ने पैर रखते ही पुकारा मेरे गांव का नाम
एक आदमी ने उतनी ही गर्मजोशी से कहा
आ गए, आओ !
मैं निकला ही था कि पहुंच गया
मै पहुंचा ही था कि फिर निकल आया
कब कहां कितना उतारा खुद को
कितना उतरा मैं कहां
यह सब सोचता
लौट रहा हूं
बार बार सिर उठा कर ऊपर देखते हुए
जो कुछ लेकर आया था
जो कुछ लिया है नया
वह सब सामान सुरक्षित तो है !
~सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज
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लौटते हुए
एक शहर ने मुझसे कहा मैं तुम्हें जानता हूं
यही कहा एक जंगल ने
एक नदी ने पैर रखते ही पुकारा मेरे गांव का नाम
एक आदमी ने उतनी ही गर्मजोशी से कहा
आ गए, आओ !
मैं निकला ही था कि पहुंच गया
मै पहुंचा ही था कि फिर निकल आया
कब कहां कितना उतारा खुद को
कितना उतरा मैं कहां
यह सब सोचता
लौट रहा हूं
बार बार सिर उठा कर ऊपर देखते हुए
जो कुछ लेकर आया था
जो कुछ लिया है नया
वह सब सामान सुरक्षित तो है !
~सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज
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गए बरस में जो तारीख़ें बोई थीं
नए बरस में वो सब उगने वाली हैं
~प्रताप सोमवंशी
*नववर्ष की शुभकामनाएँ-
ईसा मसीह
….
रोमी सैनिकों ने तुम्हें अपशब्द कहे
क्योंकि उनके आका के पास
चुक गए थे शब्द और तर्क
तुमपर कोड़े बरसाए
तुम्हारे धैर्य ने असहनीय दर्द जो दिया था उन्हें
कांटों का ताज पहनाया
तुम्हारा तेज़ उनकी बादशाहत से
बड़ा जो हो गया था
अपना शव अपने कांधे पर
ढोने को अभिशप्त सैनिकों ने
तुम्हें सलीब पर लटकाया
और पापी कहा
और तुमने उनका पाप अपने माथे ले लिया
तुम्हे मुक्ति मिली
उन्हें अंतहीन कैद
~प्रताप सोमवंशी-
चराग़ जलता रहे औ’ हवा भी चलती रहे
उजाला झूम के बरसे उमस भी मिट जाए
~प्रताप सोमवंशी
दीपावली की शुभकामनाएँ-