जब तक जागा, चांद की चांदनी दिल लुभाती रही
नींद मिली तो ख्वाबों में, तेरी यादों की धूप आती रही
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जो तोड़ सके मेरा जज़्बा,जन्मी ना कोई हार है
माथे पर... read more
तोड़ दो मस्जिद मंदिर गुरद्वारे, क्यूं नमस्कार करते हो
सुबह पूजते हो देवता,दिन भर भ्रष्टाचार करते हो-
तू बदले रंग, शरद शीत और ग्रीष्म
ना पिघलुंगा मैं, हूं कलयुग का भीष्म-
कलम चलती रहे, मैं शब्दों के बिस्तर पर सो जाऊँ
कविता एसी लिखूं बस कविता का ही हो जाऊँ
कलम चलती रहे, मैं शब्दों के बिस्तर पर सो जाऊँ
जब तक हो स्याही, सांसें चलती रहें
मेरी शामें, पनों मे ढलती रहे
हृदय को एसा पलटूं मैं कागज पर
शब्दों में रक्त की धारा बहती रहे
जुबां भी पावन हो जब कविता गुनगुनाऊं
कलम चलती रहे, मैं शब्दों के बिस्तर पर सो जाऊँ-
नई सुबह है, नया भास्कर नई रौशनी आई है
समा गई है देह के भीतर, नई उमंगे लाई है
नई सुबह है, नया भास्कर नई रौशनी आई है
रोम रोम पुलकित हो बैठा, अंधकार सब नाश हुआ
साहस का बढ़ गया दायरा, मानो खुला आकाश हुआ
रूधिर भी पिघला बह निकला फिर, नए सपनों की आस लिए
कदम भी पथ पर दौड़ गए हैं, नई मंजिल की प्यास लिए
नई नवेली चमक धूप की, उर परिसर पर छाई है
नई सुबह है, नया भास्कर नई रौशनी आई है
समा गई है देह के भीतर, नई उमंगे लाई है
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नफ़रत से भरे पड़े हैं दिलों के पैमाने
प्रेम कहां से छलकेगा इन सारहीनों से
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किसमें क्या ढूंढता है
कुछ मिलना नही है
महज़ ये मूढ़ता है
कुछ मिलना नही है
किसमें क्या ढूंढता है
कुछ मिलना नही है
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सैनिक ही मौत की नज़रों से नजरें मिला पाया है
लेकिन सच ये भी है मृत्यु को कौन हरा पाया है।-