Prasoon Tiwari   (Dr.प्रसून तिवारी "गर्दिश)
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Joined 15 March 2017


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Joined 15 March 2017
24 SEP AT 19:01

मेरा अहंकार मुझे, मुझसे आगे जाने नहीं देता
बंदिशें लगाकर बैठा है, खुशियों को आने नहीं देता
जाने कैसी ज़िद पाले है, मन कैसे खुद को ढाले है
बस गुमसुम बैठा रहता है, मुस्कुराने नहीं देता
मेरा अहंकार मुझे, मुझसे आगे जाने नहीं देता
बंदिशें लगाकर बैठा है, खुशियों को आने नहीं देता

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17 SEP AT 9:34

अब तो चूंकि सब खत्म हुए वर्षों हो गए
मेरे ख्वाबों पर से कब्ज़ा कब छोड़ोगे

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9 SEP AT 12:30

सुना है जहां रक्त का बहाव अच्छा होता है, ज़ख्म जल्दी भर जाते हैं
कमबख्त 'दिल' जो दिन रात रुधिर में डूबा रहता है, इसके ज़ख्म भरने में ज़माने लग जाते हैं।

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4 SEP AT 2:39

देह पर अभिमान, इतना भी मत कर
रह जाएगी अंत, मुट्ठी में सिमटकर

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19 AUG AT 22:45

सब कुछ पहले से तय है
तुझे बबात ही भय है
जो जान गया इस सत्य को
उसी की जय है

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15 AUG AT 11:03

पूरा साल देश को भ्रष्टाचार कर के नोचने वाले कीड़े भी आज कहीं न कहीं देश के लिए दिल और जान देने की कसमें खा रहे हैं।

ऊपर किसी नेता और अधिकारी की बात नहीं की गई है, उनके जैसा ईमानदार तो कोई है ही नहीं।

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10 AUG AT 0:18

खुद से खुद की, इक अनोखी जंग है
जिंदगी अलबेली का, ये कैसा रंग है
जीतना भी खुद से है, खुद को ही हराना है
खुद से ही सवाल करना, खुद को ही बताना है
ढलती सांसों में, जीने की नई सी उमंग है
जिंदगी अलबेली का, ये कैसा रंग है

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24 APR AT 8:01

जो बस काम से याद करे
वो काम का नहीं होता

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23 APR AT 13:16

निहत्थों,बेकसूरों को मारना जिहाद नहीं होता
जन्नत धरा पर है, स्वर्ग मरने के बाद नहीं होता
अगर होती होंगी हूरें, तो वो थूकेंगी ही तुम पर
धर्म कोई भी हो... लाशों पर आबाद नहीं होता
निहत्थों,बेकसूरों को मारना जिहाद नहीं होता
जन्नत धरा पर है, स्वर्ग मरने के बाद नहीं होता

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16 APR AT 13:19

भ्रष्ट जब नष्ट होता है
उसे बहुत कष्ट होता है

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