क्या क्या गुजरी इस दिल पर फिर भी ये ज़िन्दगी तन्हा गुज़ार दी,
हमारे बिना खुश थे वो,
उनसे बिछड़कर हमने उनकी जिंदगी संवार दी...
✍️ प्रशांत-
Ab use nhi dil ke alfaaz duniya ko sunana hai❤
E... read more
गुजर जाता हूँ यूंही मायूस होकर उसकी रहगुजर से..
अब चाँद हर रोज पूरा कहाँ दिखाई देता है
- प्रशांत-
मिजाज़ में कुछ गुरुर तू भी रख ऐ दोस्त,
बिना किसी इम्तिहान के जो मिल जाते है ।
उनकी कद्र लोग अक्सर कम किया करते है।।
✍️प्रशांत-
मोहब्बत नही साहब अब ये सौदा हो गया
इश्क़ से ज्यादा तो अब मतलब औदा हो गया..
-प्रशांत विश्वकर्मा
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सुनो आदत सी लग गई है तुम्हारी
ये चाय हर शाम मुझसे बहस करती है...
-प्रशांत विश्वकर्मा-
इस नए से ज़माने में एक सवालात सा हूँ
हां मैं पुराने खयालात का हूँ..
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बयां न हो सके जो लफ्ज मेरे,
मैंने पन्नों पर उतार दिए...
खुद तो न सँवरा मै
मैंने शब्द संवार दिए..
-प्रशांत विश्वकर्मा-
ये ज़िन्दगी चल रही थी हमसफ़र के बगैर भी न जाने उसे हमने दिल में बसाया क्यों था..
ऐ खुदा हो न सके जिस्के हम
उससे तूने मिलाया क्यों था!
-प्रशांत विश्वकर्मा-
When u love someone truly and deeply but nothing gets back from them..
Then you will hate yourself very soon..
-Prashant Vishwakarma-
You can't imagine how much you love her
until you feel like rejected by her..
Prashant Vishwakarma-