Prashant Tripathi   (त्रिपाठी प्रशान्त)
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Joined 4 October 2020


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1 JUL 2022 AT 22:46

लहरों से मेरी बात कहो,
तुफानो को सन्देश भेजो,
मैं भवर में आचुका हु,
चाल अपना प्रभाव करो,

वेग तुम्हारी असीमित है,
बूझो परखो और इस्तमाल करो,
बड़ी पर्वत की चट्टान न देख,
रेगिस्थान को बगान करो,
विघ्न आए जो समर में,
निडर तुम प्रहार करो।
- प्रशान्त त्रिपाठी


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25 APR 2022 AT 23:41

हो रही है हर सुबह धूप की एक किरण लेकर,
निकल रहे है नई ऊर्जा के साथ,
लौट रहे हैं थकान लेकर,

कल को बनाने की उम्मीद में,
हम हर आज खट्टते जा रहे है,
रात बितती नही,
ये साल बीते जा रहे हैं,

प्रण जो लिया था सुबह मैं,
क्या पूरा हम कर पा रहे हैं,
क्या खुद के वादों पर हम अड़ पा रहे हैं,
थक हार कर हर शाम घर को लौट आरहें हैं,

ये भाग दौड़ के जिंदगी मे,
कर भी कुछ न पा रहे हैं,
रात बितती नहीं है,
साल बीते जा रहे हैं,

आसमान पाने की जुनून लेकर हर सुबह
हम जाग रहे है,
थक हार कर शाम को हम घर लौट आरहे है,
रात बितती नही है,
साल बीते जा रहे है।।
- प्रशांत त्रिपाठी

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17 FEB 2022 AT 9:36

जब तुम दौड़ के आवोगे,
पहले, मन भर गले लगायेंगे,
फिर तेरे चेहरे को देखेगे,
जाने के जल्दी में रहोगे,
पर कुछ देर तुम्हे रोकेंगे,
हाथ मिलाना, फिर निकलना,
हथेली से धीरे धीरे,
उंगलियों से नाखून तक विदा करेगे,
चलो ठीक है होगया,
अब बाय।।।
-प्रशांत त्रिपाठी

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10 FEB 2022 AT 10:02

बाहर की बस हवा बदली है,
अंदर की रुख वही है,

पेड़ो पे बस कौवे बदले है,
काव काव का शोर वही है।

कोयल हंसो में भेद डालना,
ये आदत पुरानी वही है,

एक दूसरे पर टूट पड़ना,
फिर चाय के साथ वही है

हमको आपको आपस मे भिडाकर
सत्ता पर मौज करने वाले वही है।।
- प्रशांत त्रिपाठी

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5 FEB 2022 AT 10:18

कितनी मोहब्बत है तुमसे,
ये हम कैसे बया करे,
नजर हटती नही है तुमसे,
तुम्हे देखे या तुमसे बात करे,

मेरी बात मानो ये नजर हटा लो,
अगर नजर से नजर ये मिलती रहेगी,
मेरी आंखो में नशा तेरी बढ़ती रहेगी,
फिर हम कुछ बोल न पाएंगे,
बस देखते ही तुम्हे रह जायेगे,

कुछ बोलो भी या बस देखते रहे,
आंखो ही आंखो में बात करती रहे,
रोज अगर हम ऐसे मिलेगे,
हम कुछ बोल नही पाएंगे बस देखते रहेंगे,

नीद खुल गई है अब फिर हम दूर हो गए है,
पर मिलने के समय अब पास आ गए हैं,
बहुत जल्द हम फिर मिलेंगे,
बस सरकार की पाबंदी हटने दो,
University फिर एक बार खुलने दो।।
- प्रशान्त त्रिपाठी

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31 DEC 2021 AT 12:37

चलो आज हम भी एक झूठ बोलते है,
तुमसे मोहब्बत नही करते ये काबुल करते हैं,

तुम रहो या ना रहो क्या फर्क है, जब झूठ ही है
तो तेरे बिन रात को हम तकिया नही भिगोते हैं,

तेरी याद, ये तो कभी नही आती,
और मोहब्बत, तेरे जितना हम भी करते हैं।

और ये इश्क के नाटक ये तो बस टाइमपास है,
जो तुम्हे हम बता रहे हैं,ये कुछ पल का एहसाह है,

ये सब तो झूठ है,
पर तेरे मेरे जिंदगी में एक खेल हो रहा है,
ये झूठ सच,और सच झूठ लग रहा है,

बे नाम ही हम बदनाम हो रहे है,
ये ईमान के चक्कर में बेईमान हो रहे हैं।।
- प्रशान्त त्रिपाठी

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4 DEC 2021 AT 17:34

जीत की उम्मीद है
मांजिल की प्यास है,
प्यास बुझाने चल रहे है हम,
हा अकेले चल रहे है हम,
हा अकेले चल रहे है हम।।

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3 DEC 2021 AT 21:40

तेरे संग मुझे एक निशानी चाहिए,

इस बदन पर एक रूहानी चाहिए,

तेरी मेरी एक कहानि चहिए,

मैं तेरा राजा तु मेरी रानी चाहिए।।
- प्रशान्त त्रिपाठी

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22 NOV 2021 AT 14:35

आओ तुम्हे गांव घूमते है,
पीपल के वो छाव दिखाते है,
बागों के रंग बिरंगे कलियों को,
चूमते तितली संग भवरे दिखाते हैं।

बूढ़े दादा की खाट बिछी,
लगी जहाँ है चौपले,
छाव पेड़ के कोने में लगी
जहाँ हैं पत्तो की बाजी,
गुली डंडे, लुका छिपी,
बच्चो में लगी है कन्चो कि बाजी।

हसिया, फवडा, खुरपी लेके
खेतो में चले किसान,
भेड़ बकरी गाय भैस लेकर,
निकल पड़े है चरवाहे।
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18 NOV 2021 AT 14:30

भूल गए है तुमको ये कह के गयी थी,
अब हर आधी रात में मुझे याद करती है,

याद नही करती अब तुमको अपने कामो में,
खोई रहती हूँ,
पर हर काम से पहले हमारा नाम लेती है,

बेवफा कह के गयी थी पर,
पर सच्चे मोहब्बत के खीसे हमारी ही सुनाती है,

और बेवफा कहूंगा मैं उसे एक दिन,
इस चक्कर मे नए ID से मेरी स्टोरी चेक करती है,

अब ये ना सोचो कि कैसे पता है मुझे सब,
जानेमन मोहब्त थी तुम हमारी,
ये सब जनकारी मुझे तेरी सहेली देती है।।
-प्रशान्त त्रिपाठी


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