Prashant Tribhuwan   (प्रशांत त्रिभुवन)
118 Followers · 23 Following

read more
Joined 10 January 2019


read more
Joined 10 January 2019
28 JUL 2022 AT 16:07

मंज़िल

तुमने चाहा ओर वो मिल गया
तो फिर मजा ही क्या हैं उसे पाने में?
मंज़िल तो ऐसी होनी चाहिए कि
उसे पाने को जान लगानी पड़े
कभी कोशिशें कभी साजिशें
करनी पड़े कभी कभी रंजिशें...
एक जीत के लिए हारना पड़ेगा बार बार
जितने के लिए सहनी पड़ेगी हर एक हार
कभी करना पड़ेगा ख्वाइशें का संहार
नहीं मिलेगा अपनों का ही प्यार
फिर भी तुम रुकना नहीं
आएगी मुसीबतें पर झुकना नहीं
पर चलते रहना अपने मंज़िल की और
ख़ुद को बेहतर बनाते हुए
फिर दुनिया आएगी पीछे तेरे
सफलता की कहानियां सुनाते हुए
जो गए वो भी आएंगे हो नहीं वो भी
बस तुम अपनी मंज़िल को पाना
तब तक सब कुछ भूल जाना
नहीं चलेगा तुम्हारा ये
रोना ,सोना और दुःख दर्द का बहाना
बस बिना रुके बिना थके
चलते रहना मंज़िल की ओर...

प्रशांत त्रिभुवन

-


9 JUN 2022 AT 0:41

तू जाए जहाँ ... वो मेरा धाम हो गया
बस हरपल तुझे चाहना काम हो गया

हम तो न थे कभी शौकीन नशे के
पर तेरे छूते ही पानी भी जाम हो गया

जब इन्कार किया उन्हें मैंने जरासा
फिर मैं दुनियाभर में बदनाम हो गया

कुछ राज खोल बैठे अपनों के पास
ओर ताउम्र दर्द का इंतजाम हो गया

कल सब कहते थे बुरा है यह रावण
मिलतेही कुर्सी रावण भी राम हो गया

ताका जो तुझे चाँद ने खिड़की से
छोड़ के ग़ुरूर वो मेरा गुलाम हो गया

हर पल हर घड़ी तुझे इतना सोचा कि
तुझे सोचना ही मेरा सियाम हो गया

रोज उसका घर आना, मुझे ताकना
मेरे लिए प्यार का एलाम हो गया

°●.प्रशांत त्रिभुवन

-


7 MAY 2022 AT 6:45

कृष्णा सारथी...!

लढाईस अंत नाही
हरण्याची खंत नाही
माझ्या प्रयत्नाचा यज्ञ
बघा कधी संथ नाही

सोडतील आपलेच
दुःख जीवनात येता
नको विसरू कधी तू
कोणी तुला साथ देता

तुझ्यासाठी कोणीतरी
तूही कुणातरीसाठी
जपू करोनी मदत
नात्यातील प्रेमगाठी

येता जीवनी संकटे
पराभव न मानावा
रणभूमी हे जीवन
मर्म त्याचा जाणावा

लढायची ही लढाई
कृष्णा सारथी करोनी
जिंकायचे जग सारे
कास प्रेमाची धरोनी

प्रशांत त्रिभुवन

-


3 JAN 2022 AT 23:11

हर मंजिल को पाना ज़रूरी तो नहीं
हार कर फिर लौट जाना ज़रूरी तो नहीं

मौत तो आनी ही हैं एक दिन सभी को
रोज - रोज का घबराना ज़रूरी तो नहीं

पानी हैं मंज़िल ? होना हैं क़ामयाब ?
फिर रंज में झूठा बहाना ज़रूरी तो नहीं

हो पथ सच्चाई का तो एकेला चल पड़
हमेशा साथ हो ज़माना ज़रूरी तो नहीं

बस जरासा प्यार चाहिए जीने को यार
खुशी के लिए ख़जाना ज़रूरी तो नहीं

मरहम के साथ नमक भी ले बैठें है लोग
सभी को घाव दिखाना ज़रूरी तो नहीं

मिल लिया करो वक़्त बेवक्त दोस्तों को
दर्द भूलाने को मैख़ाना ज़रूरी तो नहीं

प्रशांत त्रिभुवन

-


2 JAN 2022 AT 23:29

मंज़िल

तुमने चाहा ओर वो मिल गया
तो फिर मजा ही क्या हैं उसे पाने में?
मंज़िल तो ऐसी होनी चाहिए कि
उसे पाने को जान लगानी पड़े
कभी कोशिशें कभी साजिशें
करनी पड़े कभी कभी रंजिशें...
एक जीत के लिए हारना पड़ेगा बार बार
जितने के लिए सहनी पड़ेगी हर एक हार
कभी करना पड़ेगा ख्वाइशें का संहार
नहीं मिलेगा अपनों का ही प्यार
फिर भी तुम रुकना नहीं
आएगी मुसीबतें पर झुकना नहीं
पर चलते रहना अपने मंज़िल की और
ख़ुद को बेहतर बनाते हुए
फिर दुनिया आएगी पीछे तेरे
सफलता की कहानियां सुनाते हुए
जो गए वो भी आएंगे जो नहीं वो भी
बस तुम अपनी मंज़िल को पाना
तब तक सब कुछ भूल जाना
नहीं चलेगा तुम्हारा ये
रोना ,सोना और दुःख दर्द का बहाना
बस बिना रुके बिना थके
चलते रहना मंज़िल की ओर...

©प्रशांत त्रिभुवन

-


1 JAN 2022 AT 23:00

अब जिंदगी जीने में मजा आ रहा है ।
जिसे कहूं अपना वो छोड के जा रहा है।।

दर्द देने के लिए कोई, बाटने के लिए आए कुछ,
बेवफा दुनिया में समझ बैठा उन्हें अपना सचमुच ।
मिली है बेवफाई फिर भी प्यार का जादू छा रहा है,
दोस्तो, अब जिंदगी जीने में मजा आ रहा है ।।

दिल की गहराई से जिन्हें सोचता था मै अपना ,
न जाने क्यों वो बन के रह गया अधूरा सपना।
ये दिल आज फिर भी प्यार के तराने गा रहा है,
दोस्तो, अब जिंदगी जीने में मजा आ रहा है ।।

देखा जब से तुझे तबसे तन्हा राते काटता हूं,
जो मिला दर्द इस जहां से वो तुझसे बाटता हूं।
हर दिन इस जिंदगी से नया सबक पा रहा है,
दोस्तो, अब जिंदगी जीने में मजा आ रहा है ।।

पागल है मेरा दिल कभी भी धड़कने लगता है,
मिलने के लिए तुझसे सपनों में भी जागता है।
अब ये दिल मेरा हो के भी आज मेरा ना रहा है,
दोस्तो, अब जिंदगी जीने में मजा आ रहा है ।।

दोस्तो, अब जिंदगी जीने में मजा आ रहा है ।
जिसे कहूं अपना वो छोड के जा रहा है।।

प्रशांत त्रिभुवन

-


23 SEP 2021 AT 0:53

"मज राहवले नाही"

होतो शांतच जरासा
अश्रू जरी नयनात
सोसायचे किती सांगा
दुःख मी ह्या जीवनात

किती दिवस झुरावे ?
रोज-रोज का मरावे ?
लढल्याशिवाय का मी
नियतीशी ह्या हरावे ?

छळलेस दिन रात
कमजोर समजून
किती होणार अन्याय
मनावर ह्या अजुन

मज राहवले नाही
लढल्याशिवाय आता
लिहायची आहे मला
प्रयत्नांची यशोगाथा

तोडायचे बंध सारे
गाठायचे माझे ध्येय
दिले ज्यांनी जीवन हे
त्यांना अर्पितो मी श्रेय

प्रशांत त्रिभुवन

-


19 AUG 2021 AT 21:17

हर मंजिल को पाना ज़रूरी तो नहीं
हार कर फिर लौट जाना ज़रूरी तो नहीं

मौत तो आनी ही हैं एक दिन सभी को
रोज - रोज का घबराना ज़रूरी तो नहीं

पानी हैं मंज़िल ? होना हैं क़ामयाब ?
फिर रंज में झूठा बहाना ज़रूरी तो नहीं

हो पथ सच्चाई का तो एकेला चल पड़
हमेशा साथ हो ज़माना ज़रूरी तो नहीं

बस जरासा प्यार चाहिए जीने को यार
खुशी के लिए ख़जाना ज़रूरी तो नहीं

मरहम के साथ नमक भी ले बैठें है लोग
सभी को घाव दिखाना ज़रूरी तो नहीं

मिल लिया करो वक़्त बेवक्त दोस्तों को
दर्द भूलाने को मैख़ाना ज़रूरी तो नहीं

प्रशांत त्रिभुवन

-


15 AUG 2021 AT 22:43

हम तो हो चुके है सब के पर हमारा न कोई
डूब गए हम आँसुओ में .... किनारा न कोई

प्रसवपीड़ा में भी थी तबस्सुम माँ के चेहरे पे
फिर कभी भी मैंने वैसा देखा नज़ारा न कोई

कड़ी धूप में चमक उठे बूँद पसीने के बाप के
उस तरह से चमका कभी भी सितारा न कोई

गिर के संवारा खुद को... संवर के गिरा फिर
ये भगवान दुनियां में तुझ सा सहारा न कोई

वतन से हो गयी मुहब्बत इस कदर हमें की
जिंदगीभर जिंदगी में आया दोबारा न कोई

°●.प्रशांत त्रिभुवन

-


12 AUG 2021 AT 9:53

चाहना है तो चाहो ना
पाने की ज़िद क्यों?

-


Fetching Prashant Tribhuwan Quotes