हां ये बातें अब मायने नहीं रखतीं तो भी क्या,
एक एक बात मैं अक्सर सोचता हूँ,
क्या होता अगर मैं समय पर,
तुमको बता पता कि तुम मेरे लिए क्या थी, कि कितना इश्क है मुझे तुमसे।
अक्सर सोचता था क्या तुमको भी मेरा इंतज़ार था,
क्या तुम चाहती थी कि मैं अपने दिल की बातें तुमको बोलूं।
खैर सच कहु तो अब फर्क नहीं पड़ता,
क्योंकि वो कहानी सालो पहले ख़तम हो चुकी है,
पर अक्सर किसी अधूरी कहानी को जब हम पीछे मुड़ के देखते हैं,
तो लगता है कि कैसा होता अगर बोल पाया होता,
कैसा होता अगर रोक पाया होता तुमको!-
A geologist..good at observation
Revolutionary,ambitious and rebel ... read more
कभी सोचता हूँ तो लगता है कि,
जिस संघर्ष को मैंने चुना,वो क्यूं चुना ?
पर ये तक़दीर ने लिखा है,
शायद मेरे हिस्से में एक युद्ध लिखा है!
अक्सर यह सवाल खुद से भी पूझा,
और एक रोज इसका जवाब किसी ने दिया था कि -
पता नही क्युं मेरे पास हर सवालों का जवाब कैसे है।
छोड़ के राधा, ग्वालों और गोपियों को बरसाने में और वृन्दावन में
कृष्णा भी तो मथुरा और द्वारका गए थे।
जिस कृष्ण की लोग राधा संग प्रेम का प्रतीक मानते हैं,
उसी ने महाभारत भी रचाई थी!!
एक रणभूमि कहीं पर मेरा इन्तज़ार कर रही होगी!!-
पता है मोहब्बत कैसी होती है,
कोई बता नहीं सकता क्योंकि ये बस हो जाती है।
कभी एक पल में युहीं किसी से हो जाती है,
तो कभी सदियाँ बीत जाती हैं फिर भी नहीं होतीं।
कभी किसी से मिलो और लगता है कि, जिंदगी इसी के साथ बितानी है,
और कभी हजारो खूबसूरत चेहरे से भी, मोहब्बत नहीं होती!
सोचा था साथ तुम्हारा इश्क निभाऊंगा, छोटी बड़ी खुशियाँ,
तो कुछ गम के पल साथ बिताऊंगा,
पर कैसे लिखु उन बातों को, जो मैं चाह कर भी कह ना सका.
अपनी दुनिया, अपनी पहचान बना ना सका!
बन सकु इतना काबिल की लड़ सकु अपने इश्क के लिए,
पर हर लड़ै मैं हारता चला गया,
और मैं काबिल ही ना बन सका!
मंजिल मिल जाएगी इतना भरोसा है,
जीत भी काफी बड़ी आएगी, ये भी भरोसा है,
पर एक अधूरापन सा है, मानो फीका-फीका हो सब,
अब महसस होता है मुझे!
कोई नहीं जानता किसका साथ कहा तक लिखा है,
पर सफर के कुछ मुसाफिर अपने साथ, आपके एक हिस्से को भी ले जाते हैं।
मैं नहीं जानता कि मेरी कहानी में प्रेम है की नहीं,
पर एक दुआ अब मैं अक्सर मांगता हूं,
कि जिंदगी में जब भी प्रेम आये मुक्कमल आये।-
मेरा एक दोस्त मुझसे आज यूं ही कह गया, अपने आस-पास देखो- देखो कितनी सुंदरता है,
देखो कितना दिल है चाहने को,
पर मैं नादान कैसे उसे समझाउ -
दुनिया जीत लूं फिर भी वो मेरी हार ही होगी,
जो प्यार है अगर वो मेरा नहीं.
मैंने इश्क़ दिल से किया था, निभाने के लिए किया था,
पर अब सिर्फ तन्हा सा सफर है, और मैं किसी मोड़ में कहीं अकेला खड़ा हूं।
दर्द है आँखों में, इस अधूरेपन को कैसे ब्यान करो, वो शब्द नहीं है मेरे पास.
दुख है,निराशा है, पर कुछ सपनों को पूरा करने का जोश भी।
कितना अजीब है ना ये दौर भी,जहाँ किसी लक्ष्य की या बढ़ता हुआ, एक योद्धा सा मजबूत हूं.
और एक कहानी के अधूरे सिरे को देख, किसी टूटे हुए मन की तरह कामजोर हूं। कभी किसी ने लिखा था- कि कोई भी इश्क आखिरी नहीं होता,
पर कोई ये भी तो लिखे कि,
एक इश्क से निकल कर दूसरे तक जाना,
और खुद को फिर से मनाना की
तुम भी प्यार के काबिल हो किसी के,कितना मुश्किल होता है.
कितना मुश्किल होता है खुद को यकीन दिलाना कि तुम कर सकते हो,
कि तुम किसी के इश्क में जी सकते हो।
बस उस पल में वही खड़ा रहा,
सोचता रहा कि कहाँ है वो पल,
जो इश्क और सपने जो मुझे पूरा कर दें।-
जानते हो किसी के हाथ को छोड़ना मुश्किल तो होता है,
पर शायद उतना मुश्किल नहीं,
जितना उसके हाथ को छोडना,
जिस हाथ को तुमने थामना चाहा था,
जिस हाथ को तुम थाम न सके!
जिस शक्स के खातिर तुम सपनों को पूरा करना चाहते थे,
जिस शक्स को तुम प्यार करना चाहते थे। प्यार, प्रेम या इश्क जो भी कह लो तुम,
जब सच्चे मन से होता है,
तो वो सिर्फ रक्षा करना जानता है,
उस शक्स की जिसे दिल सच में चाहता है।
नहीं मेरी अब किसी दुआ में तुम नहीं होती, क्योंकि अब दुआओ में मुझे विश्वास ही नहीं।
जो पूरा ना कर सके,
उस रब के डर पर अब विश्वास नहीं!!
जो मुक्कमल न हो सके,
ऐसी मंजिल का मुसाफिर होना का मोह छोड़ना मुश्किल है!-
हां मुझे तुमसे इश्क हुआ था,
एक अल्हड़ सी, जिंदा दिल, बचपने से भरी हुई, एक दिल से मासूम लड़की से इश्क हुआ था।
हां इस इश्क को अपनाने से पहले,मैंने एक मुश्किल सा सफर भी तय किया था।
पर हर बार की तरह इस दफ़ा भी,
मेरा ये इश्क इकतरफ़ा ही रहा!
एक सपने को पूरा करने के खातिर,
जब मैंने अपना सब कुछ गवा दिया है,
और अब जब सब कुछ हार चुका हूँ तो,
अब अक्सर सोचता हूँ कि,
क्या हासिल होगा मुझे,अगर मेरे सपने एक बदलाव बनने के,
पूरे हो भी जाये, मिल जाए सत्ता, ताकत, कामयाबी, इज्जत और शोहरत भी।
जब ये इश्क ही अधूरा रह जाएगा!
और कैसे ब्यान करु उस भावना को,
कि मैं अब चाहु तो भी, कभी इश्क़ शायद ही कर पाउ!
एक अधूरा सफर और एक अधूरापन,
ये पल बहुत भारी है, बस दूर मंजिल दिखती है और दिल भारी है,
जब इस सफर पर चला था तो सोचा ना था कि,इतना मुश्किल होगा सफ़र,
जब इस इश्क का आभास हुआ था,
तब भी दिल ने रोका तो था कि क्या होगा जो ये मुक्कमल ना हो पाया तो,
पर दिल का जुडना और टूटना लिखा था, और एक सफर बच गया है जो अब अकेला लड़ना है।
एक हिस्सा अलग हो रहा हो मुझसे,मानो बस बच जाएगा एक रिश्ता..
और कहीं बढ़ जाएगा ये सफर,पर एसा सफर भी तो मैने नही चाहा था!!-
जब जीतने का रास्ता जान लिया,
तो बस इतना सा काम करना है,
जिस रण को लड़ने चला हूँ मैं,
उसका पक्का खिलाड़ी बनना है,
इतना काबिल कि अपनी शर्तो पर खेल सकुं,
इतना तैयार कि किसी भी परीक्षा को झेल सकुं,
और बस फिर मुझे, एक शांत सा तूफ़ान बनना है,
जो वक्त से पहले ना उठे,
और जब उठे तो तभी मचा दे!-
हर रण के रणभूमि में एक पल आता है,
जब तुम ये समझ जाते हो,
कि तुम जीत के बेहद करीब हो,
बस एक योद्धा के तौर पर,
तुमको लड़ना होता है!
हर जीत असल में हार ही होती है,
जब तक जीत की दहलीज को पार न किया जाए,
पर सब जानने के बाद भी,
पर ये सफर फिर भी मुश्किल ही होता है!!-
और ऐसा ही अचानक,
कुछ सपनों के संघर्ष में,
दो शहरों के सफ़र के बीच,
जब हल्की सी नींद आई थी,
और आँखों के सामने,
बस तुम्हारा चेहरा और ख्वाब था!
इश्क और सपनों की जंग,
मैं अभी जीत ना सका,
पर उस पल में मैं तय ना कर सका,
उस अधूरेपन को मैं जाने दूं,
या ये सोच के खुश हूं कि,
शायद मैं अपने सफर के अंतिम पड़ाव पर हूँ!!
इश्क का सफर पूरा न होना,सालता है!
पर मेरे हर सफर में तुम ही हो!!!-
पता है इश्क की कहानी का,एक हिस्सा होता है,
उस इश्क के पूरे ना होने का.
पहले आती है वो घड़ी, जब दिल टूटता है,
फिर भी एक उम्मीद कि, तुम्हारा इश्क़ तुम्हारा हो जायेगा,
तुम्हें जिंदा रखती है.
पर एक रोज़ वो दिन भी आता है,
जब वो उम्मीद भी ख़तम हो जाती है,
और अचानक से एक रोज़ तुम,
खाली हो चुके होते हो भीतर से।
मैं ये नहीं कहता की, ये जगह भर नहीं सकती,
मोहब्बत फिर से नहीं हो सकती,
पर इस दौर में एक सफ़र ऐसा भी आता है, जो सबसे मुश्किल होता है,
दोबारा यकीन करने के लिए, कि तुम भी किसी के प्यार के काबिल हो।
एक दौर में जहां इश्क की उम्मीद टूट चुकी है,
वहां मैं किसी सपने के ऐसे पड़ाव पर खड़ा हूं,
जहां पर मैं जीत से बस कुछ कदम दूर खड़ा हूं।
कुछ टूटा सा, बिखरा सा, सफर की थकन ने घेर लिया हो मानो।
मुझे एहसास होता है, कि मैं जीत के बेहद करीब खड़ा हू।
सपने, नाम और शोहरत या सत्ता हासिल हो जाए,
तो भी क्या वो, किसी खास के ना होने की कमी को पूरा कर सकते हैं??
नहीं, पर एक सफ़र ख़तम करना ही, मेरी नियति है!-