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Prashant Singh
(प्रशांत सिंह)
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भीड़ भरी इस दुनिया में एकांत हूँ मैं
इन किस्से कहानियों का वृतांत हूँ मैं
शोर ही शोर भरा हर त... read more
इन किस्से कहानियों का वृतांत हूँ मैं
शोर ही शोर भरा हर त... read more
Joined 26 December 2017
29 OCT 2022 AT 18:13
आँख यूँ ना लड़ाइए मतलबों से
बात को ना बढ़ाइए मतलबों से
दिल लगाते हैं लोग कुछ मतलबों से
मत लबों को लगाइए मतलबों से
रात की सोच काली है प्यासे हैं सब
प्यास यूँ मत बुझाइए मतलबों से
तुम बढ़ाते हो हाथ जब दोस्ती का
तब गले मत लगाइए मतलबों से
सबने थामे हैं हाथ क्यूँ मतलबों से
आप तो मत थमाइए मतलबों से
आपको हैं निभाने ये रिश्ते तो क्या
देखिए मत निभाइए मतलबों से-