Prashant Singh   (Prashant Singh)
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Joined 22 October 2017


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Joined 22 October 2017
20 APR AT 18:40

तुम्हारी भाषा का सार खुदको समझाते समझाते।
मुझे एक जमाना लगेगा तेरे पास आते आते।।
मैं जो समुन्दर सुखाने का तलबगार।
मुझको वक्त लगेगा एक दरिया बनाते बनाते।।
तुझको केवल पसंद मेरी आँखें।
मुझे न जाने कब समझ आएंगे तेरे इशारे।।
तुझे पहले पत्थर अब इंसान पसंद है आते।
मुझको एक मौत लगेगी पत्थर से इंसान होते जाते।।

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19 MAR AT 10:02

सपनों को जागृत
मन को स्थिर
दूषित परिवेश से दूर
एकांत ही हो।।
दृढ़ संकल्प
पग पग बेहतर
धीमा धीमा
चरित्र निर्माण हो।।
न किसी से द्वंद
न कोई प्रतिद्वंदी
खुद से चल पड़ो
जब कोई साथ न हो।।
विरह, कलह, क्लेश
कोई साथ न हो,
विद्रोह में समुद्र
लौटा देने का सामर्थ्य
और एक बूंद
का भी निर्माण न हो।।

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16 MAR AT 18:16

ये भी भ्रम है चलो ये भी टूटना चाहिए।
तुम क्या हो और क्यूं हो ये भी पता चलना चाहिए।।
चलता है, चल रहा है या चलता रहना चाहिए।
जब तक पता लगेगा, तू समझेगा की संभलना चाहिए।।
मैं था, मैं हूं या मुझ जैसा रहना चाहिए।
जब तक समझेगा साँचें को, चाहेगा ये साँचा टूटना चाहिए।।

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14 MAR AT 19:59


लड़कियां जो आसमान छू सकती थी
आसमान को चीर उस पार एक जहान बना सकती थी
जो महज पापा की परी नहीं एक सपना थी
वो भी भेंट चढ़ गई समाज की बेड़ियों पे
विवाह एक ऐसा खूंटा जिससे उसे बांध दिया गया
और कहा गया पूरी करने उसकी आजादी
ऐसी आजादी जिसकी रस्सी बना पाती है
एक सीमित त्रिज्या की परिधीय
परिधीय के भीतर उसकी दुनिया
और उस वृत की परिधि उसकी सीमाएँ
त्रि विमीय सपने जब द्वि विमीय हकीकत में कटती है
तब विश्व मानचित्र का हर नक्शा तवा पे सिकता है
और हर युद्ध केवल मन में लड़ा जाता है
ऐसा विवाह देता है फुरसत पश्चाताप को...

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27 FEB AT 19:44

Expected Behaviour
Is The Root Cause
Of Most Problems
In This World.

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21 FEB AT 12:59


जिसको भी अपना बनाता हूं बिछड़ जाता है।
लगाता हूं गले तो लड़ जाता है।।
जब भी बड़े एहतियात से बुने सपने तो बिखर जाता है।
जहां थम जाना चाहिए धड़कनों को वहीं धड़क जाता है।।

वो जो अजीज़ था कातिल है मेरे तमन्नाओं का।
मैं ऐसा नहीं हूं जैसा नजर आता है।।
वो जो चाहते नही गुफ्तगु दुरूस्ती।
मैं राह बदल लूं तो हिम शिखर भी पिघल जाता है।।

मैं भला हूं सबका भला चाहता हूं।
खुदके लिए खुद जैसा हमसफ़र चाहता हूं।।
न की कभी मोहब्बत, न किसी से झूठे वादे।
न बिस्तरों पर कभी डाली सिलवटें, न मिले सिलवटे ऐसे है इरादे।।

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21 FEB AT 11:14

जो चीज अथक प्रयास
से भी नही मिलते।
वो प्रतीक्षाओं से
मिलते हैं।।

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9 FEB AT 22:15

खामोशी से,
खत्म रिश्ते।
आघात नहीं,
प्रश्न छोड़ते है।।
संशय के...

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9 JAN AT 14:06

मैं मैं के खिलाफ़ हूं।
एक द्वंद और सब खत्म।।

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18 DEC 2023 AT 15:37

चेहरे पे इतने दाग़ है,
कि चरित्र कोई देखता हीं नहीं।
परिणामों के इतने शौकीन है लोग।
कि मेहनत किसी को दिखता ही नहीं।।

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