मुझसे अपने सुख का सृजन करने वाले।
भूल जाते है मुझे ये दुनिया को समझने वाले।
खूब थपथपाते है ये पीठ अपनी।
सबके काम में टांग फसाने वाले।।
मुझको निकृष्ठ समझते है वो लोग।
मुझे अपनी सर्वोच्च वरीयता बताने वाले।।
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I don't need a bunch of followers I need sincere reader and const... read more
किसी को लाख कोशिशों पर भी न मिले।
किसी को बिन मांगे झोली में हो पड़े।।
जिसे जीता जाना था किसी युद्ध में।
बिन युद्ध लड़े ही किसी को मिल पड़े।।
खूबसूरती तुमसे लेती होगी खूबसूरती।
वफादारी भी तुमसे मांगता होगा वफ़ा।।
सब्र ने भी सीखा होगा सब्र तुमसे।
गुलाब ने भी खिलना सीखा है तुमसा।।-
क्या कुछ भी बचा है कहने और सुनने को ,
देखने को और समझने को,
बात निकली जुबान से,
बात हाथ से निकल गई,
कहां गई किसे पता,
अंधेरे में या रोशनी को ढूंढने को,
अंतर आत्मा की परतों को खोल खोल,
ढूंढता हूं गलती सुधारने और भूलने को,
मैं था भी या शेष अस्तित्व भी एक प्रश्न है,
मेरी हताशा, मेरी हार, किसी की खुशी, किसी का जश्न है,
गांठ ये है कि मिट्टी जिसे बनाता है,
कोई भी ठुकरादे फिर भी उसे मिट्टी अपनाता है,
तुम क्या हो, कैसे हो ये प्रश्न नहीं,
जरूरतों में उपयोग होते हो पर अब उपलब्ध नहीं,
बातों की किसी से आगे निकलने की जरूरत है।
मुझे तेरे आदतों से ऊपर उठने की जरूरत है।
वो जो नजरों से गिरा कर संभाल रहे बहुत।
चाशनी से लिपटे हुए लहजे में छिपे बहुत है।।
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तुम मेरे हो मुझे यकीन है।
सोचो ये झूठ कितना हसीन है।।
बिन इजहारे इश्क है, बिन प्यारे प्रियतम।
मैं जानूँ दोनों, ये है मुझपे सितम।।
जो भी मेरे दिल के शिखर पर चढ़ जाता है।
गिर जाता है, ढह जाता है, जीते जी मर जाता है।।-
व्यापक पैमाने को न जानने वाले लोग,
छोटी बातों पर रह जाने वाले लोग,
कुछ भी हासिल नहीं कर पाते,
बातें बनाने वाले लोग।
तेरी उलझने है और खुदको समझा रहा हूं,
तुझे भूल जाना था मुझे तुझे लिखता जा रहा हूं।
दिलो में रखने वाली बातें जुबान पर ला रहा हूं,
पर्दे से हो गई है नफरत अब आईना घुमा रहा हूं।
खुले विचारों से संप्रेषण था कभी खुदको एक बताते थे,
साथ में दुनिया बसाने वाले लोग एक दूसरे को हादसा बताते है।
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ये रिश्ता कागजी था
तय था टूट जाना
दिलों की घनिष्ठता
तोड़ देती
स्वाभिमान को।-
मुझसे ये उम्मीद न करो दिल्लगी दिखाऊं जमाने में।
तुम पसंद हो बस यही बचा है मेरे आशियाने में।।-
वो न बोलो जो खुद भी सुना न जा सके।
अगर जुबां मेरी और लहजा तुम्हारा हुआ,
जी तुम भी न पाओगे।।-
कौन किसके साथ रहें।
कौन किसे छोड़ जाएं।।
जिसकी जैसी संगत।
उसको वैसा भाएं।।
क्या सही क्या गलत।
इसमें क्यों उलझाए।।
जो दिल से उतर जाएं।
फिर आँखों को काहे भाएं।।
मैं सही तू गलत...
तू तू थू थू।
मैं मैं मय मय।।
ये वो सब बेकार।
धूमिल सब जो दृश्यमान।।
क्या सहूं क्या कहूं।
ये माया है माया मुझे भरमाएं।।-
चाँदनी उतर आई है आँगन में
पर हैरत है चांद नहीं लाया है
हां, हाँ चाँद,
उसको चंदा मामा कैसे बोल जाऊँ
उसको कभी महबूब बताया था।
हाँ तेरी संज्ञा किसी की विशेषता
मचलता मन खूब कूदता खेलता
जैसी मिट्टी काटती नदियाँ
उसको उड़ेलता धकेलता
मेरे ख्याल में कौन तुम
तुम क्या चाँद, चाँदनी?
तुम ख्याल, वजूद मेरा सच
जीवन की श्रेष्ठता.....-