Prashant Singh   (Prashant Singh)
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Joined 10 September 2017


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Joined 10 September 2017
15 JUN 2022 AT 9:13

एक उम्र गुजा़री हैं खुदको को साहिल करने में
रिस्ते कई टूटे हैं ख़्वाबो को कामिल करने में
एक नही सौं दफा गिरा हुँ चलना सीखने से पहले
पसीना बहुँत लगता हैं मंजिलो को हासिल करने में

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16 FEB 2022 AT 22:49

मन के सारे ताल बिगाड़ गया
सासों कि चलती चाल बिगाड़ गया
जाते हुए पलट कर उसने कुछ युँ देखा
खुदा कसम दिल का हाल बिगाड़ गया

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28 JAN 2022 AT 7:42

मेरे निशा ढूढ़ता वो आएगा
इक रोज जरूर मुझसे मिलने
इसी उम्मीद में मैं रास्तों पर
निशा छोड़ता आया हुँ

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15 JAN 2022 AT 20:40

गलतफेमिया पालकर वो जमाने से
रूठ कर बैठा है हमसे कई जमाने से
जिसको चाहा उसने भी ठुकराया हमको
अब हम और क्या चाहें इस जमाने से

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27 DEC 2021 AT 13:07

कुछ सपने लेकर हम भी आए शहर
छोड़ कर अपनी वो गाँव कि गलिया
पनघट पर हर सुबह नाचते थे मोर
जहाँ खिलती थी सुनहरी कलिया

रंज है मगर कुछ करने कि जि़द भी
जिस खा़तिर छूटा खेत और खलियां
रैन खिल खिलाकर जहाँ धूम मचाती
जुगनओ से जगमगाती शामें फलियां

हाँ याद आएगा गाव का बाग भी बहुत
छुप छुप कर जहाँ तोड़ते थे बेलिया
खुले आसमान मे जहाँ बिस्तर लगता
टुटे तारो से निकलती थी मुरादें रेलिया

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21 DEC 2021 AT 12:24

वो जहाँ मे हर किसी के लिए दुआँए माँगता हैं
कांश टूटते तारे से वो कभी हमे भी माँग लेता

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20 DEC 2021 AT 9:21

हर शाम वो आसमान का चाँद मेरे छत पर आकर बैठता हैं और हम एक दूसरे से अपनी तन्हाई के किस्से साझा करते हैं

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20 DEC 2021 AT 9:11

चाँद मेरा दोस्त

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19 OCT 2021 AT 14:22

जैसा तुम सपने देखते हो सपने हम भी देखते है
हम भी देखते है सपने आसमान को छूने का
नयी ऊचाई, एक नया इतिहास रचने का
हर इंम्तिहान से लड़कर
अपना खुद का एक जहांन बनाने का
अपने घर वालो का सर फक्र से ऊचा करने का
नया नाम बनाने का
खुद की पहचान बनाने का

उम्र ज्यादा है तो क्या, सपनो कि चिन्गारी
अब भी भड़क रही है
और ये चिन्गारी तब तक चलती रहेगी
जब तक सपने पूरे नही हो जाते
हमे मालूम है काँधे पर हमारी जिम्मेदारिया बहोत है
मगर जि़म्मेदारियो के साथ सपनो को पूरा
हम भी कर सकते है

बस एक मौका देकर तो देखो
तकदीर से लड़कर खिताब हम भी जीत सकते है
हम औरत है सपने हम भी देखते है

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11 SEP 2021 AT 23:01

अंक्खा विच ज़ख्मा नु जे प्यास लगे
सांझ ते सवेरे अश्का नु आस लगे
याद विच तेरी रांझा जे जोगी होया
दर्द-ए-जुदाइया वी मेनु खास लगे

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