कोई शिकायत नही रही ज़िंदगी तुझसे
तू मुझे गुमनाम कर या परेशान कर
हम भी हारने वाले हैं कहाँ
मैं अपने काम करूं, तू अपना काम कर-
Biker
Foodie
Kalaripayattu Learner
Fitness Freak
Wri... read more
Internet most played lyricist on Shivratri..
One and only....Hansraj Raghuvanshi 🙏🏻
व्यूज की भरमार शिवरात्रि पर अपरंपार।।।
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मैं रोज रात यही सोचकर तो सोता हूं
की कल से वक्त निकालूंगा जिंदगी के लिए।
अगला दिन होगा मेरा खुद ही के लिए
अपनी भागती जिंदगी में फुर्सतो के लिए
शोर भरे दफ्तर की विरानगी से नश्तर के लिए।।।
मैं रोज रात यही सोचकर तो सोता हूं
जिम्मेदारियों से भागा हर इंसान बुद्ध क्यू नही बनता
मेहनतकशी से जिंदगी का हर बोझ क्यू नही घटता
चिंता की चिंगारियो से शरीर को सुख क्यू नही मिलता
हर समाधान समस्याओं से जिंदगी में बड़ा क्यू नही होता।।।
मैं रोज रात यही सोचकर तो सोता हूं
आदतें गिरवी पड़ी मेरी जिंदगी के पास समझौता करू
गुंजाइशो से रिश्ते ठहरते तो आजमाईशो का क्या करू
खारे पानी के सागर तले मोती से इंसानियत खोजा करू
तासीर मेरी खुद की आग अश्रु के नम्रता से ठंडा करू।।।
मैं रोज रात यही सोचकर तो सोता हूं
की कल से वक्त निकालूंगा जिंदगी के लिए।।।
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हमेशा देर कर देता हूं मैं,
कभी कोई जरूरी बात कहनी हो
कभी कोई वादा निभाना हो
हमेशा देर कर देता हूं मैं,
कभी कही वक्त पर पहुंचना हो
कभी किसी को मुस्कुराना हो
हमेशा देर कर देता हूं मैं,
कभी किसी सपने को सजोना हो
कभी कई दिल हुजूमो को जीतना हो
हमेशा देर कर देता हूं मैं,
कभी किसी अपनों के खंजर ढूंढना हो
कभी किसी गैरों का भरोसा देखना हो
हमेशा देर कर देता हूं मैं,
कभी बाप की डांट का प्यार समझना हो
कभी मां की ममता के सागर में डूबना हो
हमेशा देर कर देता हूं मैं,
कभी कही गुम सुकून को तलाशना हो
कभी खुद में बसे खुद को तराशना हो
हमेशा देर कर देता हूं मैं।।।...
headlines from Munir Niyazi🙏🏻.... rest is...-
हर वक्त चलती रहती है उंगलियां मोबाइल पर,
किताब सीने पर रखकर सोए ज़माना हो गया...
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परिंदो का भी मन नही रहता किसी पराए आशियानों में,
ख़ुतूत हमारी उम्र गुजरी जा रही है किराए के मकानों में!!!...
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हम...!!!
बाहर रौनके लगाएं बैठे, अंदर से श्मशान है हम
पास लोग हैं बहुत बैठे, पर हो चुके अकेले है हम
बेवजह खुशियों संग बैठे, खुद से ही एतराज है हम
गजब मासूमियत लिए बैठे, पर खुद से पराए है हम
भीड़ की आदतें लगाए बैठे, जिंदगी चल रहे अकेले हम
शोर से कान सुन्न कर बैठे, ख़ामोश लफ्जो से टूटते हम
चाहतें दहलीजों पे रख बैठे, बेसब्र इंतजार कर रहे हम
उदासी को अंदर छुपा के बैठे, संभलकर मुस्कुरा रहे हम
ख्वाबों को संजोकर है बैठे, बिखरते हुए देख रहे हम
ख़ामोशी से प्यार कर बैठे, खोखले होते जा रहे हम
खुद से खुद का सवाल कर बैठे, इतने अकेले क्यू है हम।।।...-
ये खुदा थोड़ा सा रहम बक्श,
इंसान को इंसान बने रहने दे
करके मुट्ठी भर दानवों का नाश,
इंसानियत को जग में जीने दे
आवामों में बगावत खत्म कर,
बेघरों को संभलने की हिम्मत दे
मुठ्ठी भर बेगर्तो को कुचल कर,
लाखो उम्मीदों को मेराज होने दे
दर्द भरा मंजर देख कर वहा,
इंसानों हौसलो से शैतानों को रोने दे
धर्म का ज्ञान सबको समझाकर,
मुल्कों की खूबसूरती न खोने दे।।।-
क्यू......?
क्यू लगने लगा है खुद से खुद को डर
क्यू डर है कि अंत ना कर पाए ये सफर
क्यू अपने सपने नजर आ रहे होते बेघर
क्यू हो रही मंज़िल ओझल धुंधलाकर
क्यू हो रहा खंडित खुद का बुनियादी स्तर
क्यू मन मान नहीं रहा खुद को समझाकर
क्यू खा रही है यातना स्वयं संकल्प तोड़कर
क्यू टूट रहे सिद्धांत ग्लानि के बोझ से दबकर
क्यू हो रहा हूं दिशाहीन रास्तों पे आकर
क्यू हो रही नम आंखे आंसूओं से भरकर
क्यू हो रहे खत्म सपने नीद कर छूमंतर
क्यू टूट रहा खुद चिंता की चिता सजाकर
क्यू उलझ रहा हूं सुलझनो को उलझाकर
आख़िर क्यू
क्यू नही ये '"क्यू "" होता मंतव्य समांतर।।।-
it is better to fail in originality,
rather to succeed in imitation...
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