बेचैनी का ज़िक्र नही है ,,
मुझको शायद फिक्र नही है ,,
नींद तो बैठी राह निहारे ,,
नींद से बेहतर हिज्र नही है ।।
कितने बागों के माली ने
पानी देना छोड़ दिया ,,
सारी उगती कलियों को
किसने आकर तोड़ दिया ,,
किसकी लाठी की गूंजो ने
हाहाकार मचाया है ,,
किसने जा कर जंगल मे
शेरो को पाठ पढ़ाया है ,,
किसके हिस्से में आया है
नदियों का ये. निर्मल जल ,,
किसने बाँधा अम्बर को है
किसने बांधा जल तरंग ,,
किसको छूकर के माटी को
फिर सोना बन जाना है ,,
किसको सुन सुन कर के हमको
गाना है दोहराना है ,,
सब कुछ तुमको ही करना था
तो मुझको क्यों फिर भेज दिया ,,
खुद की ख़ातिर फूलों की राहें
मुझको काटों का सेज दिया ,,
#संगम
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