prashant sharma   (प्रशान्त)
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Joined 28 April 2024


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24 JUN AT 11:06


बेज़ुबां ख़्वाहिशें और सिर्फ तेरी बातें हैं
किस्से , कहानियाँ और चंद मुलाकातें हैं
गुजरता रहा दिल के बदगुमान रास्तों पर
थमा बस वहीं जहाँ तेरी यादें हैं

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17 JUN AT 12:04

The word Sansara is derived from Sanskrit word ' Samsara', which
in simple terms means worldy existence, moving through the cycle of life & going through highs and lows .
we happily accept pleasure but are afraid of pain.
The spectrum of pain comes from memories of past experiences that spill over into the present and blur the future.
Dissolving the past, sailing the present, and not worrying about the future liberates our consciousness.

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16 JUN AT 10:37

तिनका- तिनका समेटा दिल के बसेरे को
यादो के परिंदे फिर से पास आये
कैसे करे हिसाब उनकी यादो का
आज फिर वो याद बेहिसाब आये

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6 JUN AT 7:19


दिल की परतों में दिल के दर्द रह जायेंगे
आंसू की तरह अब आँखों में नहीं आएंगे
बेमंज़िल सफ़र में लेकर तेरी यादों का कारवाँ
अब निकल ही गये है तो लौट कर नहीं आएंगे

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5 JUN AT 10:27

Life is not a question of succeeding or failing in exams or relationships.
It is about choosing a controlled mind over an uncontrolled mind,
Choosing peace over chaos of thoughts and loving unconditionally.
More peace brings us closer to our inner energy,
Controlling random chains of thoughts and ability to use the mind as per our command reflects real success and reveals that we are truly in tune with the universe.

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4 JUN AT 9:39

अब मुझ से मेरे होने का सबब न पूछ
खुद को तेरे धागे में पिरो कर खो चुका हूँ मै

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1 JUN AT 18:42

रुसवा होकर भी सामने मेरे वो बैठा तो है
जाते हुए पलटकर उसने मुझे देखा तो है
मिलना बिछड़ना तो बस किस्मत का खेल है
उसका इश्क़ रगों में अब तक बहता तो है

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28 MAY AT 21:01


शमा के इश्क़ पर परवाने ने खुद को उतारा हैं
जान देकर उसने फिर किसी के इश्क़ को सँवारा है

चाँद की चमक से भला हम क्यों गिला करे
चाँद हथेली पर लेकर , तेरी नज़र को उतारा है

तेरी यादों ने डुबाया, तेरी यादों ने उबारा है
तेरे इश्क़ के समंदर में तेरा इश्क़ ही किनारा है


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6 APR AT 12:20

तेरे आसमाँ में अब भी मेरी जमीं क्यों हैं
दिल में हैं तो आँखों में नमी क्यों हैं
चल रहा हूँ भीड़ में सदाओं के वास्ते
सदाओं में फिर इतनी ख़ामोशी क्यों हैं
हवा में उड़ना है राख बनकर एक दिन
फिर ये मोहब्बत बेपनाह और बेइंतहा क्यों हैं

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27 MAR AT 11:02

दुनिया देखकर लगता है कि हर कोई जल्दी में है, समय के साथ भागने की घबराहट में है। समय की समझ को हमारे जीवन में अनुशासन लाने के लिए शामिल किया जा सकता है, लेकिन बुरी बात यह है कि हमने इसका सार खो दिया है।
हम सभी जल्दी में हैं, अनुभव की सीढ़ी चढ़े बिना, सब कुछ तेजी से हासिल करना चाहते हैं
समय के भ्रम को खोलने की क्षमता, दो पलों के बीच के ठहराव को महसूस करना एक आनंद है... पल को महसूस करें, पल में रहें, पल को जिएँ... रास्ते का हर कड़वा अनुभव आपको जीवन के सबसे मीठे फल तक ले जाएगा

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