काश ये ज़मीं आसमां दरिया सूरज चांद सितारे और हवा सब हमारे होते, तो वो जहां भी जाते ख़बर हमें भी होती।
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ज़िद्द ऐसी की खुद उठा के ताज न पहने...
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तुझे पाने की कोशिश में कुछ इतना खो चुका हूँ मैं
कि तू मिल भी अगर जाए तो अब मिलने का ग़म होगा!!
- वसीम बरेलवी-
चल एक बात करते हैं अपनी, जिसमें तू साफ और हम दागदार निकले
हकीक़त में मिले या न मिले अब, पर उस बात में एक मुलाक़ात निकले-
निकाहनामे पे दस्तख़त कर जिस्म पाया किसी ने,
एक हम हैं, जिसने इश्क़ से रूह फ़तह की है।
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Decades of integrity can be lost in a single minute of weakness, succumbing to anger, greed, or lust.
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When love turns to desperation, and I'm forced to plead with the one I adore, existence becomes a fate worse than death. In this bleak reality, I no longer yearn to live..
That was written in poetic way and in normal tone..
Life becomes more terrifying than death when, in love, I have to beg from the very person I love. In such a state, I too do not wish to live this life..-
मुख़्तसर वक़्त में यह बात नहीं हो सकती
दर्द इतने हैं खुलासे में नहीं आएंगे
ख़त के छोटे से तराशे में नहीं आएंगे
ग़म ज़ियादा हैं लिफ़ाफ़े में नहीं आएंगे
उसकी कुछ ख़ैर ख़बर हो तो बताओ यारों
हम किसी और दिलासे में नहीं आएंगे
जिस तरह आपने बीमार से रुख़सत ली है
साफ़ लगता है जनाज़े में नहीं आएंगे-
अपनी तस्वीर फिर तेरी तस्वीर के साथ हो ऐसी तक़दीर कहाँ से लाऊं?
गर एक बात जोडूं तो फिर तेरा साथ हो ऐसी बकत तक्बीर कहाँ पाऊँ?-