ख़ुद को इतना भी मत गिराओ, कि नज़र से नज़र मिला ना पाओ,
रिश्तों में कड़वाहट कभी इस कदर मत मिलाओ, कि चाह के भी उसे बदल ना पाओ।
रिश्तों में अपनापन बहुत जरूरी है।
बिन इसके मानो कोसों सबसे दूरी है।
सिर्फ कहने से यहां अपना नही होता।
समझते हैं सारी मुश्किलें अपने,
उन्हें हर दफ़ा कहना नही होता।
यहां बड़ा होने से महान नही होता।
अगर फ़ितरत साफ ना हो, तो सम्मान नही होता।
इसलिए अपना कहने वाले , पहले तुम अपनाओ उसको
भेद भाव के साथ नही, दिल से तुम अपनाओ उसको
कभी सुनो तुम उसकी मुश्किल, फिर कभी सुनाओ उसको
रिश्ते-नाते कहने वाले, इसका मोल समझ के आओ पहले।
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