Prashant Nainwal   (prashant_nainwal)
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Insta -: @ig_nainwal ❤️
Joined 16 May 2018


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21 JUL 2023 AT 5:57

मतलब की ढेर सारी दुनिया ,
सारी की सारी , ढे़र दुनिया..🌿❣️

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26 JUN 2023 AT 8:43

उलझन निसदिन की जीवन-पर्यन्त होने लगी
धडकनें हृदय से क्षण-क्षण स्वतंत्र होने लगी ,
होनी को कोई टाल नहीं सकता मालूम हैं हमें
कही हुई बातें आज सारी, उपदेश से मंत्र होनी लगी...❣️

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24 JUN 2023 AT 8:55

शान्ति,
शान्तिप्रिय लोगों की सबसे बडी ताकत तब बनती है
जब कमजोर समझकर उनका सानिध्य त्यागा जाता है.... ❣️💫

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1 MAY 2023 AT 6:59

अभी उनकी दुनिया भी हिलानी है ,
जिनको अपने किए पर गिला नहीं है....

ऐसा क्या है जो हमें मिला नहीं था
याद एक एक कर गलती गिनानी है....

तजुर्बे उम्र-दर-उम्र बढते रहेंगे
एक ही दिन का सिलसिला नहीं है....

मुझमें नफरत बढाने वाले सुनों !
कद्र प्रेम के लिए कम हुआ नहीं है....

अाग लगाने की फितरत रखने वालो
मुझमें भी उठता सिर्फ धुआँ नहीं है....💚

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25 APR 2023 AT 21:07

पीठ पीछे अगर ना कटाक्ष करते ,

सामने पहले सही अगर वार करते ,

तो हो जाती खबर
किससे टकराए हो !

जब तक जिंदा रहते शर्त लगा लीजिए !
केवल विलाप करते.... 💚

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22 MAR 2023 AT 22:09

anubhaw k aadhar pr
aabhas hona..
prakriti ki den hoti h
jo hrkisii m nhi hoti, or
jinme hoti unhe duniya bewkoof smjhti.....❤

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21 MAR 2023 AT 14:53

na surat pe fida koi
na haal-e-dil puchta koi ,

sbr ki intehan lete h sb ,
na mujse juda koi....📿

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28 NOV 2022 AT 20:25

तुममे‌ं हुनर बातों से जीतना ,

मुझमें खूबी हालातों को‌ हराना ❤🕊

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16 AUG 2022 AT 22:44

बिन मौसम बरसात भी होती है ,

जिनमें कुछ बात न हो
उनकी भी बात होती है ,

होते है चित-पट एक ही सिक्के के

दिन का उजाला हो जहां
वहां रात भी होती है 💆‍♀🌼

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16 AUG 2022 AT 22:06

दरिद्र के चरित्र पर ही सवाल क्यूँ !
अमीर के जमीर पर नहीं बवाल क्यूँ ?

क्यूँ हैसियत के मापदंड में दुनिया चल रही
तन हिमशिखर सा, पर रूह जल रही ,

चल रही ये दुनिया अमीरों के हिसाब से
पिस रहे गरीब, चुप मगर अपने हाल से ,

कर्म से, किस्मत से, गरीब ढाल पे
देते हैं दिलासे खुद को ये कमाल के ,
दरिद्र के चरित्र पर ही सवाल क्यूँ !
अमीर के जमीर पर नहीं बवाल क्यूँ ?

सीखो राम से जिन्होने बेर शबरी के खाए
कृष्ण सुदामा की यारी के दुनिया गुण गाए ,

सत्त, द्वापर, त्रेतायुग में भेद ही नहीं था
सत्य-असत्य के रण में ज्ञान ही प्रथम था ,

लेकिन अहंकार भर गया है इस कलयुग में
है धनवान जो भी सर्वोत्तम है वो खुद में ,

गरीबी स्वयं से डरती
फिर अमीरी इतनी विशाल क्यूँ ?
दरिद्र के चरित्र पर ही सवाल क्यूँ !
अमीर के जमीर पर नहीं बवाल क्यूँ ?

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