Prashant Kumar   (प्रशांत कुमार)
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◆ UP60 🏠
Joined 19 March 2024


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16 JUN AT 10:47

हाथ थामने वाले हर मोड़ पर मिलेंगे,
ये हाथ ना छोड़ने वाले कहाँ मिलेंगे।

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15 JUN AT 14:11

ये कैसे ख्यालात है,
जो मानती नहीं,
अलविदा को स्वीकार करना।
तुमसे दूर हो जाने पर,
बेताब रहती,
कुछ सुन लू तुमसे,
कुछ कह दु अपनी।
वो ही बातें,
जो हो चुकी है,
वो ही बातें,
जो दुबारा मैं कहना चाहता।
आखिर कैसे हो सकता है
इतना आसान,
कुछ न कह पाना,
और वो बाते जो
होंठो पर आ चुकी हो,
उन्हें अंदर ही मार देना।

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9 JUN AT 8:19

जिंदगी में आपको हज़ारो चेहरे मिलेंगे,
लेकिन एक ऐसा शख़्स भी मिलेगा
जिसके खुद के हज़ार चेहरे होंगे।

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7 JUN AT 19:54

वो चेहरे देख कर भाव दिखाता है,
मैंने उसका चरित्र पढ़ लिया है।

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6 JUN AT 9:31

झूठी उम्मीद जगा के साथ देना है,
तो फिर साथ छोड़ देना अच्छा है।

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2 JUN AT 8:40

उसने मुझे कुछ इस कदर नकार दिया,
जैसे वर्षों से पीड़ा झेलती आ रही हो।

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31 MAY AT 8:07

पुस्तकें मांगना 'अपराध' है,
वापस न लौटाना 'हत्या'।

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30 MAY AT 10:24

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29 MAY AT 13:17

रेशम सी है वो नारी,
बिखरती रहती बातों में,
पाना चाहता हूँ उसे,
है किसी के यादों में।

लालिमा रखे होंठो पर,
वस्त्र है गुलाबी जैसे
लगती है तस्वीरों में,
ले रख लू दिल में उसे।

वो किसी उम्र की परिभाषा है,
बच्चों की तरह आहट है,
सुनने को रास हूँ मैं,
पाने को बेताब हूँ मैं।

कभी शरारत करती,
कभी उदास हो जाती,
कभी दर्द भुला कर,
कभी खुशियों में सिमटती।

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14 MAY AT 9:24

और फिर इक मोड़ पर मुलाकात हुई,
नज़रे मिली बीती बातें याद हुई,
ना मैंने कुछ कहा न वो बोल पाई,
बस इशारों में ही सारी बात हुई।

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