हाथ थामने वाले हर मोड़ पर मिलेंगे,
ये हाथ ना छोड़ने वाले कहाँ मिलेंगे।
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ये कैसे ख्यालात है,
जो मानती नहीं,
अलविदा को स्वीकार करना।
तुमसे दूर हो जाने पर,
बेताब रहती,
कुछ सुन लू तुमसे,
कुछ कह दु अपनी।
वो ही बातें,
जो हो चुकी है,
वो ही बातें,
जो दुबारा मैं कहना चाहता।
आखिर कैसे हो सकता है
इतना आसान,
कुछ न कह पाना,
और वो बाते जो
होंठो पर आ चुकी हो,
उन्हें अंदर ही मार देना।
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जिंदगी में आपको हज़ारो चेहरे मिलेंगे,
लेकिन एक ऐसा शख़्स भी मिलेगा
जिसके खुद के हज़ार चेहरे होंगे।
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रेशम सी है वो नारी,
बिखरती रहती बातों में,
पाना चाहता हूँ उसे,
है किसी के यादों में।
लालिमा रखे होंठो पर,
वस्त्र है गुलाबी जैसे
लगती है तस्वीरों में,
ले रख लू दिल में उसे।
वो किसी उम्र की परिभाषा है,
बच्चों की तरह आहट है,
सुनने को रास हूँ मैं,
पाने को बेताब हूँ मैं।
कभी शरारत करती,
कभी उदास हो जाती,
कभी दर्द भुला कर,
कभी खुशियों में सिमटती।-
और फिर इक मोड़ पर मुलाकात हुई,
नज़रे मिली बीती बातें याद हुई,
ना मैंने कुछ कहा न वो बोल पाई,
बस इशारों में ही सारी बात हुई।
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