इस एक डर से ख्वाब देखता नही,
जो देखता हूं वो भूलता नहीं।
मैं आ रहा था रास्ते मे फूल थे,
अब जा रहा हूँ कोई रोकता नहीं।
मैं इन दिनों हूँ खुद से इतना बेखबर,
मैं बुझ चुका हूं और मुझे पता नहीं।
जी चाहता है लिपटकर रोना उससे,
सबब है कि वो पूछता नहीं।
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1 MAR 2019 AT 1:34