दीदार उनका अब बस तस्वीरों मैं होता है मिलते तो वो है मिलना जिनके नसीबो मैं होता है, किसी को उम्र भर चाहना ही अब शायद काफी नही अब सच्चा वही कहलाता है पास जिसके बहुत सा पैसा होता है।।
शाम के बाद जब मे खुद से मिलने अपनी तन्हाई मैं जाता हूं,तुम्हारी ढेर सी यादे होती है वहां, मैं चाहकर भी फिर तन्हा नही रह पाता हूं, कुछ कहती नही वो बहुत चुप सी रहती है मुझे सुनती तो है मगर कुछ बोलती नही शायद वो भी अभी तक नाराज़ है मुझ से तुम्हारी तरह..........
याद आपकी इस कदर जो आयी न होती नींद आंखों से हमारी यू पराई न होती, रिश्ता माना कुछ नही है तुम से हमारा फिर भी, साथ होते जो हम तो ऐसी भी कुछ बुराई न होती।।