Prashant Jain   (Prashant1411)
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मुझे मेरे अल्फाज़ो से समझिये जितना मैं कह नही पाता उस से ज्यादा मैं लिख देता हूं।।
Joined 22 May 2018


मुझे मेरे अल्फाज़ो से समझिये जितना मैं कह नही पाता उस से ज्यादा मैं लिख देता हूं।।
Joined 22 May 2018
30 APR AT 23:17

दीदार उनका अब बस तस्वीरों मैं होता है
मिलते तो वो है मिलना जिनके नसीबो मैं होता है,
किसी को उम्र भर चाहना ही अब शायद काफी नही
अब सच्चा वही कहलाता है पास जिसके बहुत सा पैसा होता है।।

30/4/24

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27 APR AT 21:31

शाम के बाद जब मे खुद से मिलने अपनी तन्हाई मैं जाता हूं,तुम्हारी ढेर सी यादे होती है वहां, मैं चाहकर भी फिर तन्हा नही रह पाता हूं, कुछ कहती नही वो बहुत चुप सी रहती है मुझे सुनती तो है मगर कुछ बोलती नही शायद वो भी अभी तक नाराज़ है मुझ से तुम्हारी तरह..........

27/4/24

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27 APR AT 21:10

खूबसूरती उनकी और निखरती है
जब गहरे रंग का शूट और बिंदी माथे पर लगा कर जब वो निकलती है।।

27/4/24

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27 APR AT 21:02

दो लफ़्ज़ों की परवाह जो तुमने कर ली होती
ज़िन्दगी बसर फिर तन्हा न हमारी होती।।

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27 APR AT 21:02

दो लफ़्ज़ों की परवाह जो तुमने कर ली होती
ज़िन्दगी बसर फिर तन्हा न हमारी होती।।

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27 APR AT 21:02

दो लफ़्ज़ों की परवाह जो तुमने कर ली होती
ज़िन्दगी बसर फिर तन्हा न हमारी होती।।

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27 APR AT 17:15

देखा है हज़ारों को पर तुमसा नही देखा है,यू मुस्कुराते इठलाते हमने पहले कभी ज़मी पर चांद को नही देखा है।।
प्रशान्त11

26/4/24

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25 APR AT 0:33

बिन मौसम की बरसात
जैसे याद आ जाये कोई भूली सी बात,
अनकहे से हो जैसे कोई जज़्बात
भारी सा मन लब पे खामोशी
और आंसुओ मैं भीगी रात।।

24/4/24

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24 APR AT 23:18

याद आपकी इस कदर जो आयी न होती
नींद आंखों से हमारी यू पराई न होती,
रिश्ता माना कुछ नही है तुम से हमारा फिर भी,
साथ होते जो हम तो ऐसी भी कुछ बुराई न होती।।

24/4/24

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20 MAR AT 13:12

अल्फ़ाज़ सब बेअसर हो गए है
अब संवाद मौन से होगा,
बात अपनी हम अब कहेंगे न किसी से
अब देखेगे असर खामोशी का उन पर कब होगा।।

20/3/24

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