Prashant Gigaulia   (PG)
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Adat hai galti karne ki or fir galti s kuch shikhne ki.
Joined 24 May 2018


Adat hai galti karne ki or fir galti s kuch shikhne ki.
Joined 24 May 2018
25 FEB 2022 AT 3:54

In life you have to write your own success story

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28 JUN 2021 AT 21:29

ए ज़िन्दगी कभी तो आराम से चला कर,
मुझे जीना है तुझे, बस यूँ ही काटना नहीं है।

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25 JUN 2021 AT 23:13

वो जितना भी मिला, काफी था।
एक मे ही था, जो प्यासा रह गया।

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25 JUN 2021 AT 23:05

मुझे अगर सच मे प्यार है उस से,
तो बस यही कहूँगा,
वो जहाँ भी रहे, जिस के साथ रहे, बस खुश रहे।
♥️♥️♥️

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11 APR 2021 AT 4:37

जिसे माँगा था दुआओ में कभी,
आज वो खुयाब बन कर रह गया।
में देखता रहा, वक्त की हर चल को किसी फ़क़ीर की तरह ,
और चुपके से मेरी दुआओ को कोई और अपना बनाकर ले गया।

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5 APR 2021 AT 23:41

तेरी यादो की खूंटी से बाधा बैठा हूँ,
जब जब निकलना चाहा तेरी यादो ने रोक लिया।
अब हालात ये है, ना निकल सकता हूँ और ना ही संभल सकता हूँ।

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29 MAR 2021 AT 22:27

सुना है,
वो अब अपने दुःख और दर्द को चुपके से पी लेता है,
जो कभी चाय भी बॉट कर पिया करता था।
मेरा दोस्त।

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28 MAR 2021 AT 22:39

ऐसी भी कोई बात नहीं,
दिल, उमीदें, पर खुयाब ही तो टूटे है,
तू तो नहीं!!!!
जो मिला है सब तेरे हाथ मै था,
और जो नहीं मिला,
वो तेरे नसीब मे भी नहीं था।
अब जो है, उसी मे खुश भी ना रहो,
ऐसी भी कोई बात नहीं।

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8 MAR 2021 AT 8:10

Without you,
our life is colourless, unblessed, and bitterness.
You are the cause of happiness, and joyness.
Because of you we men's becomes mature and responsible.
Thank you for all..
"अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस" की हार्दिक शुभकामनाये।

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6 MAR 2021 AT 5:45

आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा
कश्ती के मुसाफ़िर ने समुंदर नहीं देखा
बे-वक़्त अगर जाऊँगा सब चौंक पड़ेंगे
इक उम्र हुई दिन में कभी घर नहीं देखा
जिस दिन से चला हूँ मिरी मंज़िल पे नज़र है
आँखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा
ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं
तुम ने मिरा काँटों भरा बिस्तर नहीं देखा
यारों की मोहब्बत का यक़ीं कर लिया मैं ने
फूलों में छुपाया हुआ ख़ंजर नहीं देखा
महबूब का घर हो कि बुज़ुर्गों की ज़मीनें
जो छोड़ दिया फिर उसे मुड़ कर नहीं देखा
ख़त ऐसा लिखा है कि नगीने से जड़े हैं
वो हाथ कि जिस ने कोई ज़ेवर नहीं देखा
पत्थर मुझे कहता है मिरा चाहने वाला
मैं मोम हूँ उस ने मुझे छू कर नहीं देखा
बशीर बद्र।

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