जिसे माँगा था दुआओ में कभी, आज वो खुयाब बन कर रह गया। में देखता रहा, वक्त की हर चल को किसी फ़क़ीर की तरह , और चुपके से मेरी दुआओ को कोई और अपना बनाकर ले गया।
ऐसी भी कोई बात नहीं, दिल, उमीदें, पर खुयाब ही तो टूटे है, तू तो नहीं!!!! जो मिला है सब तेरे हाथ मै था, और जो नहीं मिला, वो तेरे नसीब मे भी नहीं था। अब जो है, उसी मे खुश भी ना रहो, ऐसी भी कोई बात नहीं।
Without you, our life is colourless, unblessed, and bitterness. You are the cause of happiness, and joyness. Because of you we men's becomes mature and responsible. Thank you for all.. "अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस" की हार्दिक शुभकामनाये।
आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा कश्ती के मुसाफ़िर ने समुंदर नहीं देखा बे-वक़्त अगर जाऊँगा सब चौंक पड़ेंगे इक उम्र हुई दिन में कभी घर नहीं देखा जिस दिन से चला हूँ मिरी मंज़िल पे नज़र है आँखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं तुम ने मिरा काँटों भरा बिस्तर नहीं देखा यारों की मोहब्बत का यक़ीं कर लिया मैं ने फूलों में छुपाया हुआ ख़ंजर नहीं देखा महबूब का घर हो कि बुज़ुर्गों की ज़मीनें जो छोड़ दिया फिर उसे मुड़ कर नहीं देखा ख़त ऐसा लिखा है कि नगीने से जड़े हैं वो हाथ कि जिस ने कोई ज़ेवर नहीं देखा पत्थर मुझे कहता है मिरा चाहने वाला मैं मोम हूँ उस ने मुझे छू कर नहीं देखा बशीर बद्र।