ग़म है सौ, ज़माने के मुझे !
खैर ये तेरा एक और सही !-
Prashant Devgun
(चराग)
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Incidents fictional, feelings original
शायर नहीं हूं मैं!
बस लिख देता हूं कुछ भी, कभी भी, क... read more
शायर नहीं हूं मैं!
बस लिख देता हूं कुछ भी, कभी भी, क... read more
Joined 7 March 2018
7 MAY AT 22:35
इश्क़ में के बस खसारे हुए है ,
बाज़ियाँ सब हम, ये हारे हुए हैं !
इश्क़ मे था के जीना हमको ,
इश्क़ ही के हम, ये मारे हुए है !-
30 APR AT 8:32
सोचे बिन उसको,
निवाला भी निगला नहीं जाता ,
जानी ! खयालों से उसके ,
क्यूं निकला नहीं जाता !-
28 APR AT 9:26
चाहते हो तो नहीं करते वादे उम्र के !
आप साथ बस जहां तक भी चल सको चलो !
Chhahte ho toh nhi krte vaade umr ke ,
Aap saath bas jahan tak bhi chal sako chalo !-
27 APR AT 9:38
वो सोचती और मुस्कुराती तो होगी,
कभी उसे याद मेरी आती तो होगी !
Wo sochti aur muskurati toh hogi,
Kabhi usse yaad meri aati toh hogi !-
24 APR AT 23:05
मानो कश्ती को कोए साहिल नहीं मिला ,
इश्क़ के मेरे कोए क़ाबिल नहीं मिला !-