तुम हो तभी सुकून है ।
सुकून नहीं तो जाहिर सी बात है
की तुम नहीं हो ।।-
अन् गाण्यासाठी आवाज लागत नाही.
जिथं स्वप्नांसाठी रात्रीची ... read more
भूल जाना पसंद किया ।
बेवक़ूफ़ हम थे जो हमने
तुम्हें हमारी जिंदगी में आने दिया ।।-
ये तो बस कह ने की बात थी ।
आपको याद किए बिन गुज़रे
ऐसी कहा कोई रात थी ।।-
बीते बरस पर वो एहसास बाकी है ।
जब तक है साँस तबतक तेरी याद बाकी हैं ।
चाहे क्यों ना जान निकल जाए मेरी,
पर दिल में फ़िक्र और आँखों मे इंतज़ार बाकी है ।।-
ढलती शाम की अंगड़ाई में,
खिलती धूप की परछाईं में,
बादलों में छुपे, चांद की रुसवाई में,
बस ना पूछो, के ज़िक्र तुम्हारा, होतो कब ।।
हर सुबह की ओस की बूँदों में,
हर लम्हा चलती धड़कनों में,
हर पल तरसती निगाहों में,
बस ना पूछो, के ज़िक्र तुम्हारा, होतो कब ।।
तुझको जबसे माना रब,
तुम्हीं तो हो मेरा सब,
और क्या तुम्हें हम बताये अब,
बस ना पूछो, के ज़िक्र तुम्हारा, होतो कब ।।-
जब हो तुम्हारा साथ,
जब थामा हो तुम्हारा हाथ ।
खुशियां तो बिखरेगी ही
चाहे दिन हो या हो रात ।।-
हर गुज़रे पल के साथ
यादें गहरी होती जाती है ।
ख़ुद लगाव हो जाता है
और तन्हाई की आदत हो जाती है ।।-