Prashant Asthana  
132 Followers · 99 Following

Tum jo mera likha padhe jaa rahe ho, har roj mujhe thoda jaane jaa rahe ho
Joined 19 January 2018


Tum jo mera likha padhe jaa rahe ho, har roj mujhe thoda jaane jaa rahe ho
Joined 19 January 2018
23 MAR 2022 AT 22:57

जब कोई बात मन में आये कह देना हमसे,
जब दिल ना लगे बिन हमारे तो कह देना हमसे।

एक धागे सा फर्क है खामोशी ओर चुप्पी में,
जो पहले समझ जाओ वो कह देना हमसे।

कोई कब तक थाम के रखता है डोर रिश्तो की,
जब मन भर भी जाये तो कह देना हमसे।

बातें कल की मन भाती है छुप कर यादों में,
आज की जो ना भाये तो कह देना हमसे।

हर वो शाम जो बीती साथ वो महफूज़ है दिल में,
अब जो नई सुबह तुम्हारे पास हो तो भी कह देना हमसे।

जब कोई बात मन में आये कह देना हमसे,
जब दिल ना लगे बिन हमारे तो कह देना हमसे।

- प्रशांत अस्थाना

-


13 DEC 2021 AT 0:00

में जो एक बात लिखूं तो क्या लिखूं,
तुझे लिखूं या वो एहसास लिखूं।

मन मे चल रहा जो तूफान लिखूं,
या जुबां पर ठहरी वो ख़ामोशी के अल्फाज लिखूं,
तेरा वो बातो को ना समझना लिखूं,
या मेरी नासमझी में तुझे समझने की कोई बात लिखूं।

कहो तो लिख दु बातें तमाम,
पर जो समझा पाए मेरी अनकही बात ऐसा तो आज क्या लिखूं।

जो बीत गया वो पूरा दिन लिखूं,
या जो बीत रही आधी सी शाम लिखूं।

जो ले आये तुझमे वो पुरानी वाली बात,
ऐसी कोई बात हो तो बता आज वोही लिखूं।

अब नही मन किसी बारे में लिखने का,
छोड़ो कभी कोई बात याद आये तो केहना,
में जो एक बात लिखूं तो क्या लिखूं,
तुझे लिखूं या वो एहसास लिखूं।

- प्रशांत अस्थाना

-


21 NOV 2021 AT 1:49

कुछ बातें है जो करनी तुमसे,
पर आज नही।

दस्तक नही बारिश की आज,
ना हाथो में मेहंदी तुम्हारे,
ना आंखों पर ऐनक हमारे आज।

सूरज की भी है लाज,
चाँद के आने पर होगी वो बात,
रेत सा गिरता वक़्त है आज,
ना बचा तुम्हारी मुट्ठी में ना ठहर रहा कुछ मेरे पास।

हवाओं में भी कुछ गरम मिज़ाजी है आज,
परिंदो की चहल पहल में आज कहा वो बात।

चलते तो रोज है हम साथ,
पर इस तन से हमारी ये केसी मुलाकात,
सब को है तुम्हारे लौट आने का इंतज़ार,
संग होंगे जब तुम्हारे जज़्बात।

कुछ बातें है जो करनी तुमसे,
पर आज नही।

- प्रशांत अस्थाना

-


21 NOV 2021 AT 0:59

बातों पर यकीन है, क्योंकि में उसे जानता हूं।
छलावा है बातों का पता है, क्योंकि में उसे जानता हूं।

- प्रशांत अस्थाना

-


21 OCT 2021 AT 15:03

सोच के धागों ने तुम्हारी खामोशी को कुछ यूं पिरोया,
की जो ना कहा कभी तुमने वो भी हमने हर बार सुन लिया।

कहते अगर तो एक चांद और निकलता घर हमारे,
पर जो बिन कहे समझ गए, तो तुमने हमे ही चांद सा रोशन कर दिया।

- प्रशांत अस्थाना

-


21 OCT 2021 AT 13:58

जो सोच रहा है तू वो सच कितना है,
जो चाहत है पूरा करने की, तो बचा अब वक्त कितना है।

एक कदम तू पीछे हटा के देख,
क्या हाथ पकड़ने को वो शख्स रुका है,
जो नही रुका वो, तो साथ चलने में बता फिर छल कितना है।

हर जरूरत से पहले जान लेता तू जरुरते उसकी,
पर क्या कभी तुझे जानना उसकी जरूरत बना है।
जो नही जानते तुझे, तो नाराज़गी का फिर तेरे सबब क्या है।

आंखों में है जो हैरानी आज तेरे,
क्या तेरी आंखों को भी कभी किसीने पढ़ा है,
जो नही पढ़ा अब तक, तो बहते अश्कों का तेरे फिर मतलब क्या है।

चार पन्नो की है किताब जिंदगी की,
हर रोज नए शब्द से तुझे रूबरू होना है,
तेरा है जो उसे कर दे रिहा, जो लौट आया बस वो तेरा है।

जो सोच रहा है तू वो सच कितना है,
जो चाहत है पूरा करने की, तो बचा अब वक्त कितना है।

-प्रशांत अस्थाना

-


25 JUN 2021 AT 21:54


क्या खोया है क्या पता,
किसे खोज रही आँखे है क्या पता।

अक्सर ढूंढती है कुछ दीवारों में,
घंटो देखा करती है उन अक्स को जो बदलते रहते है बादलो में।
रातो को तारो में चित्र बना देती है,
तो कभी पानी मे कोई छवि।

दिल को मनाने कई तरकीब बनाती है।
नही जानती छलावा दिल का,
मासूमियत सी वो बात करती है,
दूर दिखते वो रास्ते पर जहा कभी गए नही,
रोशनी की चादर हाथ मे लिए चल पड़ती है।

मन है भोला सा, लालच नही कुछ पाने की
चाहत है तो बस पोहोचने की वहाँ जहा शाम है सुकून की।
नजाने कैसी खोज है ये,
ना रास्ते का पता ना मंजिल का ओर जाना घर है।

क्या खोया है क्या पता,
किसे खोज रही आँखे है क्या पता।

-प्रशांत अस्थाना

-


14 MAR 2021 AT 22:49

आज खाली हाथ लौटा है दिल उसे मिल कर,कभी नाज़ था बिन बोले आँखे पढ़ लेने का जिस पर।

जो कभी सोने ना देता था रुठने पर, आज चल दिया देख कर भी इतना दर्द आंखों में नज़रंदाज़ कर।

-प्रशांत अस्थाना

-


14 MAR 2021 AT 0:40

शब्द अक्सर बड़े गहरे दिखाई देते है रिश्तों में पर गहराई उनकी समय ही दिखता है।
कहने को भले हम किसी के सबसे क़रीबी हो सकते है, पर नज़दीकियों का पता बरताव बता जाता है।

एक तरफ़ा रिश्ता भले कितना भी मजबूत क्यों ना हो दर्द ही दे पाता है।
और आंखों में देख कर भी जो झूठ फिसल जाए जुबां से, वो रिश्ता कहा अपनी लंबी उम्र लेकर आता है।

दोस्ती हम हर किसी से कर सकते है, पर उसे निभा सिर्फ सच्चा दोस्त ही जाता है।
जो बिन कहे सुन लेते बात तुम्हारी,अक्सर उनकी बातो को ही कोई सुन नही पाता है।


- प्रशांत अस्थाना

-


9 MAR 2021 AT 1:02

कई राते गुजरी है हमारी चाँद को तकते हुए,
कई अधूरी मुलाकातें भी की है ख्यालो के शहर से गुज़रते हुए।

एक रूह का एहसास सा है तुम्हारा आना हर रोज
एक हवा सी है फ़ैली हुई यादें चारो ओर।

पा कर तुमको जो मुक्कमल हो जाये ऐसा इश्क़ नही ये,
जिस्मों से परे आंखों के गांव में बसता कही है ये।

मंजिल की अब हमें तलाश कहा, बस चलना है कुछ कदम साथ तुम्हारे,
रुक भी जो जाए कही रास्ते पर, तो कंधा है एक दूजे का सर टिकाने को हमारे,

बाते है तमाम करने को, और सच्चे से वादे है होने को तुम्हारे।
विश्वास की परत है हर बात में ओर किस्से कुछ अच्छे से हमारे।


- प्रशांत अस्थाना

-


Fetching Prashant Asthana Quotes