कोई किसी का दर्द नहीं समझते,
पर दावा सब करते है ।
भटके हुए है सब सफर में
पर दूसरों को रास्ता पहले दिखते है ।-
मुझे लगा था इश्क में सबर जाएंगे हम,
मुझे लगा था इश्क में सबर जाएंगे हम,
वो छोर गई जब से तबसे कमरा नहीं सबरता ।
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अब कोई राज़ नहीं बचा मेरे अंदर ।
एक उम्मीद रहा करती थी, कल रात मैंने जुगनुओ के साथ उसे भी उड़ा दिया ।
अब सुबह सूरज तो निकलेगा पर मुझे पता है कमरे में रौशनी नहीं होगी,
उस अँधेरे में जो भी एक कतरा रौशनी लेकर मेरे पास आएगा, मैं वादा करता हूँ उसे अपना सब कुछ दे दूंगा।-
शहर बड़े बड़े सपने देखने के लिए मजबूर करता है,
वरना गाँव में तोह छोटी छोटी खुशियों से भी गुज़ारा हो जाता है।-
कौन है जिसे वह सब कुछ मिल गया है जो उसने चाहा था?
अफ़सोस के संग जीना हर किसी हैं I-
एक तरफ़ा है वो सारी बातें जो तुमसे की थी मैंने
और एक तरफ़ा है वो सारी बातें जो कभी न कर पाया,
और इन दोनों के बीच जो सड़क है जहाँ मैं खड़ा
हूं बस वही मेरी कविता है।-
अजनबी ख़्वाहिशें सीने में दबा भी न सकूँ
ऐसे ज़िद्दी हैं परिंदे कि उड़ा भी न सकूँ
फूँक डालूँगा किसी रोज़ मैं दिल की दुनिया
ये तेरा ख़त तो नहीं है कि जला भी न सकूँ ।-
अजीब से घरों में रहने लगे है हम
सच से करके पर्दा,
झूठ की रोशनी से भरने लगे है कमरों को ।-
आज जो नाम अख़बार की सुर्ख़ियों में है,
कल कचरे के ढेर में होगा,
इतना गुरूर मत कर इस सोहरत का मेरे दोस्त,
आज तेरी मुट्ठी में है कल किसी और की मुट्ठी में होगा ।-
अजीब ज़माना आया है इन्साफ का
जो पहले बोल देता है,
सच्चा कहलाता है
और बाद में बोलने वाला झुट्टा बनके रह जाता है..-