Pranshi Srivastava   (Pranshi Writes ✍️✨)
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Joined 8 January 2022


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Joined 8 January 2022
23 OCT 2024 AT 23:33

अश्कों से भरे नैन बता रहे थे ,
कुछ उम्मीदें कुछ गुंजाइशे अभी बाकी है!
पर ये मायूसी भरे थके,हारे नैना गवाह है,
इंतजार एक आखिरी नींद का है।
🥀

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7 OCT 2024 AT 17:38

सब जिस्म सम्भालने की कोशिशों में थे,
और एक रूह जल रही थी।
🕊

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21 SEP 2024 AT 20:22

सीने में दफ़न होते जा रहे हैं,
ख़ामोशियों में शोर खोते जा रहे हैं
कुछ तो गुज़रा है ना उन पर..
ये कल के जिद्दी ,
आज समझौते किये जा रहे हैं.!
🖤🖤

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6 SEP 2024 AT 12:38

घर के मसले,
मसले करवाएंगे
युवाओं को निकालिए कमरों से
वर्ना ये पंखों पर नज़र आएँगे!

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1 SEP 2024 AT 0:27

जानते हो तुम मुझे कैसे लगते हो ?

जैसे एक रूठा बच्चा जिसे कभी मनाया ना गया ,
उसे मिला उसकी हर ज़िद पूरी करने वाला शख्स !

जैसे एक लंबे अर्से के वनवास के बाद ,
कोई प्रेम से पुचकारकर घर की ओर वापस लेने आने वाला शख्स !

जैसे ताउम्र पिता के प्रेम से वंचित रहा एक बच्चा ,
उसे मिला कोई कांधे पर बिठाकर संसार दिखाने वाला शख्स !

जैसे एक टूटे कच्चे खण्डहर पड़े मकां को ,
उसे उसके नाम का घर देने वाला एक शख्स !

कुछ जख़्म ऐसे हैं जो ख़ामोश कर गए ,
और मिला कोई ऐसे जैसे उसकी ख़ामोशियों को शब्द !
🌻🩷✨️

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29 AUG 2024 AT 13:01

हमारा मसला हम खुद हैं,
ये शिकायतें तुम्हारी
ये नाराजगी तुम्हारी
ये ताने तुम्हारे
ऐ ज़माने, ये सब बेअसर है।
🥀

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26 AUG 2024 AT 21:02

कुछ मीरा सा इन्तज़ार है ,कुछ द्रोपदी सा विश्वास है
हे गोविंद, स्वार्थ भरे हर बंधन मे
मेरा आपसे राधा रानी सा प्यार है l
🥹🌻🦚♥️✨️

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22 AUG 2024 AT 21:22

जब तक ये लेखक हैं ना,
लिखे जाएंगे सच्चे किस्से।
Read Caption 👇🏻

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20 AUG 2024 AT 22:40

वो खुद को नापसंद करती झल्ली सी थोड़ी अल्हड सी लड़की,
आज उसके संवारने पर खुद को आईने में घण्टों निहारा करती है!
🌻

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17 AUG 2024 AT 20:31

परे रख अपनी हर खामियाँ
ज़रा उसकी नज़र से खुद को देख
थोड़ा सा इतराया जाये,
ये साज़िशें बारिशों की हैं
अब महबूब बुलाया जाये।
🌻

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