“योग: कर्मसु कौशलम्”
"समत्वं योग उच्यते”
तं विद्याद्दु:खसंयोगवियोगं योगसंज्ञितम्।
(समता के भाव के अंतःकरण और दुःख रूपी संसार से
परित अपने कर्म की कुशलता कि चाह ही योग है)
- प्राण mishra (pran ke parinde...
21 JUN 2019 AT 10:48
“योग: कर्मसु कौशलम्”
"समत्वं योग उच्यते”
तं विद्याद्दु:खसंयोगवियोगं योगसंज्ञितम्।
(समता के भाव के अंतःकरण और दुःख रूपी संसार से
परित अपने कर्म की कुशलता कि चाह ही योग है)
- प्राण mishra (pran ke parinde...