मैं उल्टा सीधा लिखू तू सीधा उल्टा पढ़
मैं सीधा उल्टा लिखू तू उल्टा सीधा पढ़
प्यार के दो लफ्ज़ तुझे चाहिए वैसे पढ़
बिन श्याही का खत मेरा दिल समझकर पढ़ ....-
हर बार तझे याद करने मैं कुछ नही जाता
बस मेरी जान जाती है और कुछ नही जाता
तेरी आहट महसूस कर भी कुछ नही जाता
बस मेरी जान जाती है और कुछ नही जाता
तेरी आवाज सुनकर कर भी कुछ नही जाता
बस मेरी जान जाती है और कुछ नही जाता
मसला ये है कि मेरी सिर्फ जान जाती है
उस के अलावा तेर यादो का समंदर नही जाता-
तुझ्या आठवणीनं मनात नुसता गरदोळ घातलाय
तुझ्या साठी हा नास्तिक_दुर्गा-दर्ग्या कडे वळलाय।
प्रत्येक शब्दा/वाक्या नंतर नावाच्या उच्चारन तुझ
मेंदू हृद्यालाच विचारात नक्की विचार काय तुझ।
तुझ्या आठवणींचा थांबा देऊन दिवस भर फिरतो
मी माझ्या ह्रदयात ही कायमचा लॉकडाऊन करतो...-
हिज्र के महीनों बाद इंतज़ार मैं है हम
खुदा कुछ तो करिश्मा दिखा तेरा
या तो इंतजार खत्म हो या फिर हम...-
कटेवरी हात तुझे
तू विटेवरी उभा।
तू जगाचा सभापती
आणि सारे जग तुझी सभा।
पंढरपूरच माझे घर
स्वर्ग तुझा मंदिराचा गाभा...
कटेवरी हात तुझे
तू विटेवरी उभा।
शस्त्र ना हाती तुझ्या
ना पौराणीक कथा।
तुझं फक्त एकच हाव
लोकांच्या ऐकाव्या व्यथा...
कटेवरी हात तुझे
तू विटेवरी उभा।
ऐक पांडुरंगा मला पुन्हा
तुझी सोन्याची पंढरी पाहुदे।
माझे शेवटचे म्हणणे की
माझे प्राण तुझ्या चरणी
पंढरीतच जाऊदे...
_प्रणय...
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दिल मैं दबी सभी बातो को
आपसे अकेले मैं कहना है.
ये महीना ठीक होगा क्योंकि
ये रमजान का पाक महीना है.
कुछ दुवा हमारे नाम पर कर लो क्योंकि
ये तुम्हारे दुवा कबूली का महीना है....
रमज़ान मुबारक...-
वो शक़्स मिला मुझसे पल भर
पर अफ़सोस वो पल भी आख़री था
गलती मेरी थी देर कर दी मैंने
उनका बिछड़ना तो लाजमी था...
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बाँट दिया इस धरती को, चाँद सितारों का क्या होगा?
नदियों के कुछ नाम रखे,बहती धारों का क्या होगा?
शिव की गंगा भी पानी है,आबे ज़मज़म भी पानी,
मुल्ला भी पिए,पंडित भी पिए,पानी का मज़हब क्या होगा?
इन फिरकापरस्तों से पूछो क्या सूरज अलग बनोगे?
एक हवा में साँस है सबकी, क्या हवा भी नयी चलाओगे ?
नस्लों का करे जो बटवारा रहबर वो कौम का ढोंगी है,
क्या खुदा ने मंदिर तोडा था या राम ने मस्जिद तोड़ी है?-
जब तक तेरी मोहब्बत की बेशुमारी रहेगी
तब तक हमारी शायरी से यारी रहेगी
और जिस रोज तेरी यादों ने करवट ली
फिर तो मयख़ाने से लेकर कब्रिस्तान तक मैफ़िल जारी रहेगी. .-
ये इश्क़ का महीना है दिल खोल के बोलो
इन दिनों कई दिल टूटेंगे और मिलेंगे
जरा होश संभालकर बोलो।
और अगर तुम्हारी जुबाँ कतरनी लगी
इजहार-ए-इश्क करने मैं तो फिर
और जोर-शोर से बोलो....-