तेरे बाद इस दुनिया में देखने को क्या बचता है...
मुझे दूसरा कुछ रास नहीं आता मेरे आंखों में बस तू जचता है...
लाख नराजगियां हों उस हुस्न-ए-दिलबर से हमें पर,
मेरा दिल ही की सिर्फ उसी के अदाकारी पे नचता है...
उसके माथे की बिंदी भी कतलेआम ढा देती है और,
उसके कानों का झुमका भी मंद मंद हसता है...
और आग तो पानी में तब लगती है जब,
हरे साड़ी पे उसके आंखों में काजल सजता है...!!-
💚💚💚
ए काग़ज़ ए कलम ए शब्दों का भरम,
जो भी गम मिले मैं तेरे वास्ते सहूंगा...
... read more
मेरे इश्क़ में तेरी हां है मुझे पता है,
तेरा लहज़ा बस दिखाने के लिए ना है मुझे पता है...
इस दौर में ख़ामोश है लैला और साथ-साथ मजनू भी,
ये बस समाज में घुली रिवायतों की ख़ता है मुझे पता है...
अब तो बस बंद कमरा, मैं और ढेर सारी तस्वीरें तेरी,
यहीं अब जिन्दगी भर की सज़ा है मुझे पता है...
और लोग कहते है जुनून में पागल हुं मै तेरे इश्क़ के,
अरे कोन जाने ये तो बस तेरे आंखों का नशा है मुझे पता है...!!-
पल भर मिलने की इजाजत वो काहां देती है,
बिना मिले ही सब बयां करती हैं मानों जहां देती है...
बड़ा कातिल है उसका लहज़ा मुझसे मिलने का यूं तो,
बिना ख़ंजर उतारे ही वो मेरे आसूं बहा देती है...
तमाम रंजिशें है उस हुस्न-ए-जां से मुझे पर,
उसकी नेमत है की वापस आने को वो फिर राहा देती है...
और वो खुले बाल, लाल फूल और लाल-लाल गाल,
ये तेरी कारीगिरी का क्या साज़ है खुदा जो सीधा क़त्लेआम ढा देती है...!!
-
जैसे-तैसे,,,
इस वीराने में बीज प्यार का समझो लग जाएं,
इंतज़ार रहेगा फ़ल का चाहें बरसों लग जाएं...
इस कदर उदास हों बैठे है हम की इस इश्क़-ए-राणाई में,
पुरी ज़िंदगी सवरनें को शायद हमारें गमकों लग जाएं...
किसी रोज़ ऐसा भी करिश्मा हों की अब,
लिपट आ गलें से वो हमको लग जाएं...
और इस राह-ए-तमन्ना में एक ही ख्वाहिश है की बस,
मेरी उम्र भी अब तुमको लग जाएं...!!
-
"तेरी" आंखों से जाने कोई ऐसी शरारत हो,
एक इश्क़ के खातिर पूरी दुनियां से बगावत हो...
तू चले तो तेरे पीछे-पीछे उस मिट्ठी को भी चूमता चलू मैं,
मैं नहीं चाहता की कभी भी तेरी गिरफ्त से जमानत हो...
कुछ ऐसी भी दुआ कबूल हो "तेरे" हक़ में की बस,
तेरे साथ-साथ तेरा साया भी सलामत हो...
तभाई का मंज़र आए तो कुछ ऐसे आए की जैसे,
"उसके" आंखों से उठी कोई क़यामत हो...
और जिस "हसीनां" के कारण;
तुझे कोई भी ख़ास दिन याद नहीं रहता प्रणय,
उसी "हसीन दिलरुबा" को जन्मदिन मुबारक हो...!!
-
सबेरें ने अपनी आगोश में अंधेर लिया है,
मुझको परखनें में उस लड़की ने बहुत देर लिया है...
क्या वो आंखे क्या वो जुल्फें क्या वो लाल लाल गाल,
क्या वो हुस्न का जाल है जिसने मुझे घेर लिया है...
उसपे लिखे सब मिसरे, नज़्में, गज़लें, सब बेकार ही गए,
उसको मनाने के खातिर मैने कहां कहां से शेर लिया है...
और मुद्दतों बाद भी उन आंखों में ज़रा रहम नहीं आया,
इस बार भी उसने;
जुल्फें कांधे पे रख अपना मुंह फेर लिया है...!!
-
ऐसे कुछ मुकम्मल ख़्वाब हो मेरे,
की माथा तेरा हो तो उसे चूमते हुए लब हो मेरे...
मैं तुझमें तू मुझमें कुछ इस कदर समा जाऊं की बस,
तेरे साथ-साथ तेरे करीबी अज़ीज़ सब हो मेरे...
तुझपे लिखे सब शेर भी उदास है की मुकम्मल ना हुए,
मुकम्मल हो जाए अगर पास में बैठे तुम जब हो मेरे...
वैसे तो इंतज़ार में हूं पर अच्छा हो जाए अगर,
की बतलादों तुम आने वाले इधर कब हो मेरे...
और इस इश्क़ में मैने जाना तो बस इतना जाना की,
जब तुम खुदकी मर्ज़ी से आओ बस तब हो मेरे...!!-
उन सीढ़ियों पे तुम पैरहन में सलवार सूट के बैठी हो,
लगता है किसी का ख़याल आते ही तुम उठ के बैठी हो...
और क्या गिला उस रब से की उसे पलट-पलट के देखना,
उसे सब पता है सिर्फ तुम ही भरम में झूठ के बैठी हो...
इस तन्हाई के आलम में बस खुदा ही है जो साथ रहता है,
और तुम किस मुराद में उसी के सामने रूठ के बैठी हो...
बहुत चाहा पर मेरा दिल कभी किसी के हिस्से ना आया,
जान तुम्हें तो गुरूर होना चाहिए की कैसा एक शख़्स तुम पूरा का पूरा लूट के बैठी हो...!!
-
क्या शख़्स है वो कुछ समझ नहीं आता,
दिल में रहता तो है पर कहीं नज़र नहीं आता...
गुजरता है वो हर एक राह से खुशबू बनकर,
हर जगह महकता है वो सिर्फ मेरे ही शहर नहीं आता...
नाजाने क्या दिल्लगी है की उसके सिवा याद मुझे,
कभी कोई दूसरा किसी पहर नहीं आता...
चाहता हूं की मर जाऊं इसी पल याद में उसके,
फिर वोही याद आता है और
काम कोई ज़हर नहीं आता...!!-
जागा करता हूं अक्सर देर रात तक यादों में तेरे,
नींद भी आए तो रहता है पहरा ख्वाबों में तेरे...
वैसे तो बदन दिनभर शामिल है दुनियादारी के मेले में,
पर सांझ होते ही फिरसे आ गिरता है पावों में तेरे...
एक आदत सी है की हरदम उसी दहलीज पे आ ठहरे,
बाज़ कहा आता है ए दिल इस थकान भरे राहों में तेरे...
वैसे तो मुतमइन है बदन इन ठंडी हवाओं के झरोखों से,
पर मज़ा ही आ जाए अगर आ घुले फिज़ा सांसों में तेरे...
और मुझे नाजाने मौत कब आए और किस जगह आए,
पर जब भी आए चाहत है की आ गिरे बाहों में तेरे...!!-