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Words are the best weapon in silence
हसरतों की साजिशों में
अपना मुकाम नही भुला हैं वो ,
ज़ोर चलाया गया मुकम्मल लेकिन
भला शीशे के टुकड़े से भी कभी पत्थर टूटा करते हैं
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गुमनाम ये चहरे हैं , रूहदार के पहरे है
हक़ीक़त अजनबी हैं और राज़ बहुत गहरे है-
बरकत मिली उस दरख़्त को भी सदियों से जो था सुखा पड़ा,
उम्मीद की एक रोशनी ही काफ़ी थी मुर्दे को फिर जगाने के लिए-
जो ज्योत जला के रखी थी
जो आस लगा के रखी थी
विध्वंस हुआ उस बात से भी
जो बात दबा के रखी थी-
मुद्दत्ते कोशिश की गई तरीकों से उसे हराने की,
पर कमबख्त कभी खुद से वो हारा नही-
ये जो तख्त है ये जो ताज है ये सब पलटते देखा है
राजा को रंक और फकीर को शहंशाह बनते देखा है
माटी के पुतले को गुमान बहुत है
हर किसी के गुमान को धूल में मिलते देखा है
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Khud SE anjan hu koi mujhe pahchanta he Kya
Mera aks Kya he Mera wajood Kya he koi janta he Kya
Fir Raha hu bhatkta hua is Jahan me
Is Jahan me mujhe koi apna manta he Kya
Diware hazaro he yaha kuritiyo ki dar ki samaj ki
Koi todne ki koshish bhi karta he Kya
Sab jee rahe he apni Zindagi masti me moz me
Wo bacha aaj bhukha e soya he fir sadak pe Kisi ko bhi thoda Fark padta he kya
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दुनिया की सारी सरहदे मिटाकर आऊंगा तेरे पास।
वो सारी मुश्किलें , बुजदिली छोड़कर आऊंगा तेरे पास।
उन लबो की मुस्कान पर फिर फिदा होने आऊंगा तेरे पास।
अरे ज़माना क्या खाक बर्बाद करेगा मुझे ,
मैं तो खुद बरबाद होने आऊंगा तेरे पास।।
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