Pranav Kumar   (प्रणव कुमार ।)
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Joined 20 November 2017


Joined 20 November 2017
1 SEP 2023 AT 16:02

तालाब को समंदर से उलझना नही चाहिए,
औरत की ताकत को तुझे ललकारना नही चाहिए,
मेरे कद से तेरा कद बड़ा है तु मेरा वजूद क्या हिलायेगा,
अब वक्त ही तुझे तेरी औकात दिखायेगा ।

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5 JUN 2023 AT 22:35

तेरे दिए जख़्मों को आँशुओं से धो रहा हूँ मै,
देख तुझसे प्यार कर के आज तक रो रहा हूँ मैं,
तुम्हे तरस क्यों नही आता मेरी ऐसी हालत देख कर,
यार अब तक तो पत्थर भी पिघल जाता मेरी ऐसी चाहत देख कर,
मेरी माँ का दर्द पता चले तुझे शायद तब,
तेरा बेटा भी किसी के इश्क़ मे पागल हो जाए तब,
और ये सच है और इसे ही हर दफ़ा लिखूँगा मैं,
मेरी ज़िंदगी में हमेशा तुझे बेवफ़ा लिखूँगा मैं |||||

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4 SEP 2022 AT 16:09

सुनो, आज थोड़ा सा प्यार जता दूं क्या,
तुम मेरी मोहब्बत हो सबको बता दूं क्या,
तेरा हाथ पकड़ लूँ मैं,
हाय, मेरी जान गवाँ दूं क्या,
मेरा दिल बहुत उदास सा है,
तेरी एक तस्वीर लगा दूं क्या,
तुझे लिखने में सारा दिन चला गया,
सोचने मे पूरी रात बिता दूं क्या,
तुझ पर ये पूरी ज़िंदगी तमाम की है,
कहो तो मेरी डायरी दिखा दूं क्या ।।।।।

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28 AUG 2022 AT 2:10

ज़माना भी राज़ी हो और तू भी,
कोई ऐसी हेरा फेरी हो जाये,
मैं कमाल कर दूंगा तुझे चाहने में,
अगर तू पूरी तरह मेरी हो जाये ।।।।।

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20 AUG 2022 AT 9:21

छोड़ो न यार,
क्या रखा है सुनने और सुनाने में,
किसी ने कसर नही छोड़ी,
मेरा दिल दुखने में ।।।।।

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11 MAY 2022 AT 17:29

दादी की हर बात मानने का जूनून था,
कितना फुर्तीला बचपन का खून था,
दादी माँ की कहानियाँ सुनकर
बचपन में मिलता बड़ा ही सुकून था ।।।।।

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3 MAY 2022 AT 1:49

जो खो चुके हैं उम्मीद अपने धुलने की भी,
उन खाली बरतनों को भर के दिखायेगा,
मौसम चाहे कितना भी खराब हो,
अपनी मंज़िल की उड़ान भर के दिखायेगा,
और मेरे हालात कहते हैं तू वापस मुड़ जा,
मेरा हौसला कहता है तू कर के दिखायेगा ।।।।।

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29 APR 2022 AT 1:56

कोई उम्मीद बर नहीं आती !
कोई सूरत नज़र नहीं आती !!
मौत का एक दिन मुअय्यन है !
नींद क्यों रात भर नहीं आती !!
आगे आती थी हाल-ए-दिल पर हसी !
अब किसी बात पर नहीं आती !!
जानता हूँ सवाब-ए-ताअत-ओ-ज़ोहद !
पर तबियत इधर नहीं आती !!
है कुछ ऐसी ही बात जो चुप हूँ !
वरना क्या बात कर नहीं आती ?
क्यों न चीखू कि याद करते है !
मेरी आवाज़ गर नहीं आती !!
दाग़-ए-दिल गर नज़र नहीं आता !
बू भी ऐ चारागर नहीं आती !!
हम वहा है जहाँ से हमको भी !
कुछ हमारी खबर नहीं आती !!
मरते है आरजू में मरने की !
मौत आती है पर नहीं आती !!
काबा किस मुँह से जाओगे प्रणव!
शर्म तुमको मगर नहीं आती !

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29 DEC 2021 AT 0:38

सुना था तेरे शहर से वफ़ा मिलती है,
टूटे हुए दिलों की दवा मिलती है,
बस यही सोच के हम आये थे तेरे शहर में,
मगर यहाँ तो दिल लगाने की भी सज़ा मिलती है ।।।।।

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19 NOV 2021 AT 16:04

कल रात से एक पैगाम ने, मुझको बहुत सताया है,
मेरे सनम ने मुझे, अपनी
शादी का पैगाम जो भिजवाया है,

ख्वाब हमारे, ख्वाब बन कर ही रह गए हमारी आखों में,
उसके शादी के मंडप को हमने अपने अश्क़ों से सजाया है,
वो मिली भी तो क्या मिली, बन के बेवफा मिली,
इतने तो मेरे गुनाह ना थे, जितनी मुझे सजा मिली,

दुल्हन बनकर एक दिन तू जा रही होगी,
तेरे हाथों में मेहँदी रचाई जा रही होगी,
उस दिन तेरी आँखों में मेरे लिए प्यार तो नही होगा,
पर उस दिन के बाद तू भी मेरी मौत पर आंसू बहा रही होगी ।

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