मैने छोड़ दिया अब अपनों को मनाना,
अपना भी अब अपना लगता कहा है...-
हम नसीब आजमाते रहे
और वो हमे आजमाते रहे,
इसी कश्मकश मे जिंदगी निकली
हाल ए दिल आपसे अब और क्या कहे...-
सोचा था तेरे बाहों के सहारे
कट जाएंगी ये ज़िंदगी मेरी
सोचा था उम्रभर रहेगी साथ
ये मोहब्बत भरी बंदगी तेरी....
सोचा था तुम दोगे साथ मेरा
हर आंधी और हर तूफ़ानों में
संभालोगे नैय्या ये प्यार की
उछलती समंदर की उफ़ानो में....
सोचा था तुम साथ रहोगे
मेरे हर एक सुख दुःख में
हो गए अलग देखो ना हम
ज़िंदगी के बदलते रूप में...-
न उससे कोई शिकवा और
न उससे कोई शिकायत है,
कोई जाकर कह दो उससे
बस बेपनाह मोहब्बत है...-
आज बड़ा अकेला सा लग रहा है,
तुम थोड़ा वक्त दे दोगे क्या ??
थोड़ी सी ही सही, दिल में अपने,
जगह हमको दे दोगे क्या ??-
ज़माने से बेफिक्र
मै तब हो गई थी,
जब तेरे साथ की
आदत हो गई थी...
तसल्ली रहती थी
तू है यार साथ मेरे
कोई इतना पास
न था सिवाय तेरे....
तू वजूद बन गया
और मै इक कहानी
बस बाकी रह गई
किस्मत की मेहरबानी...
तू चल दिया ऐसे
जैसे कुछ था ही नही
एक रात न गुजरी ऐसी
जब आंख न मेरी बही...-
तुम्हें चाहूं कयामत तक,
बस प्यार तू मेरा समझ लेना,
ज्यादा कुछ नही चाहती हूँ
बस थोड़ी दिल में जगह देना...
चाँद कहती हूँ तुम्हें
तुम चाँदनी मुझे बना देना,
घने अंधेरों में भी रोशनी का
तुम अहसास मुझे करा देना...
देखो छोड़ न जाना तुम
ये दिल तुम बिन धड़क न पाएगा,
साँसे चलेंगी बस नाम की
जिंदगी को न जिया जाएगा....-
ये जो ख्यालों की बारिश हो रही है,
मानो सपने जैसे किस्मत सजा रही है...
मन की बात सारी यहां पूरी होती
वास्तवता न कभी उससे जुड़ी होती....
बयां कर रहे है गुजरे पल दर्द सारे
मिलते नही आसानी से भीड़ में सहारे ...
अपना ही करता है बेदखल यहां
सच्चा प्रेम ढूंडने जाए भी अब कहां...
चलो ख्यालों से अब बाहर आ जाते है,
सपनों से नही सच्चाई से आंख मिलाते है....-