खुशबू भरी ये सरजमी,मेरी प्यारी मातृभूमी
सिर झुकाके चुमू जमी,मेरी प्यारी मातृभूमी
उत्तर में फुलों की वादिया,
पुरब में सजी घाटियां ,
दक्षिण में सागर हैं फैला हुआ ,
पश्चिम में मरूस्थल चमकता हुआ ...
चारो दिशायें सुंदरता भरी मेरी प्यारी मातृभूमी
हर दिन यहाँ एक त्योहार हैं ,
सादगी सुंदरता शृंगार है ,
तारे जमीपर हैं बिखेरते ,
रंगीन रंगो की बरसात हैं ...
बहती हवायें उमंगो भरी मेरी प्यारी मातृभूमी
ये भूमी वीरों की पहचान है ,
उनके लिये दिल में अभिमान है ,
धरती को अपनी समझते है माँ,
माँ के लिए जान कुर्बान है ....
कण कण से है कहाणी जुडी मेरी प्यारी मातृभूमी
-
स्त्री म्हणजे रूप शक्तीचे करा तीचा सन्मान,
जीवनात या तीचे महात्म्य आहे खुप महान.
स्नेह,प्रेम अन आपुलकीची साजेशी ही मुर्ती,
शौर्यातही या मुर्तीने गाजवलिये किर्ती.
त्याग, समर्पण, बलिदानाचा आहे अमुल्य ठेवा.
गर्द काळोख भेदणारा संघर्षाचा दिवा.
हिच आई, बहिण, सुन, पत्नी, अन् साथी,
नात्यांच्या या वलयामध्ये लकाकणारी ज्योती-
नभ आनंदाचे तुम्हां वरी वर्षावे
झरे सुखाचे बारमाही वहावे
ऋतु कोरडा न येवो दारी तुमच्या
अंगणी सदा वसंताने फुलावे-
केशरी पणत्यांनी अंगण सजावे
सुगंधी अत्तराने घर दरवळावे
फराळासम नाते रुचकर राहावे
क्षण दीपोत्सवाचे सोनेरी व्हावे...
-
हिंदी फुलों की महक है चुडियों की खनक है
हिंदी पंछीयों की चहल-पहल हिंदी देश की रौनक है
हिंदी दुश्मनों पर वार है अन्याय पे प्रहार है
हिंदी विरासत में मिला अनोखा संस्कार है
हिंदी जीवन का सार है रीश्तो में प्यार दुलार है
हिंदी हिदोस्तां का साज और शृंगार है
हिंदी हरियाली है खुशियाली है खुद्दारी है
हिंदी में खुशियां समाई ढेर सारी है
हिंदी हमारी जान है आन बान शान है
हिंदी हमारे लोकतंत्र का अभिमान है
हिंदी माँ का आंचल है
हिंदी शाखों पर कोंपल है
हिंदी झरना है नदी है झील है नहर है
हिंदी पाणी को प्रवाहित करने वाली लहर है
हिंदी अंधियारे में राह दिखाती आशा है
सबके दिल की गहराई को छुने वाली भाषा है
तो चलो हिंदी के प्रति अपने दिल में प्यार भरो
राष्ट्रभाषा हिंदी का और भी प्रचार प्रसार करो
क्यों की, हिंदी देश को एक रखने वाली शक्ती है
हिंदी बोलना भी एक प्रकार देशभक्ती है...-
नवीन वर्षाचे मात्र निमित्त...
येणारी प्रत्येक सकाळ तुमच्या आयुष्यात
नवचैतन्य घेऊन यावी हिच सदीच्छा
नव वर्षाच्या हार्दिक शुभेच्छा
-
दीप आशेचे घेऊनी आली दिवाळी
जाळण्या अंधार हा आली दिवाळी
उंबरा दरवळून गेला हर घराचा
सुगंध ऐसा उधळूनी आली दिवाळी
संगीताने जागल्या दाही दिशा या
राग सारे गाऊनी आली दिवाळी
उब नात्यांमध्ये रहावी म्हणुनी
ठंडी गुलाबी घेउनी आली दिवाळी-
पडो सुखाचा सडा अंगणी
सजो प्रेम रंगांची रांगोळी
आरोग्य उत्साह हर्षासावे
व्हावी आनंदी दीपावली-
ये इश्क का मसाला हल करा दो साहिब
शायरीयाँ लिखते कब तक मरेगा गालिब-