pramod Mahor   (।।प्रमोद माहौर।।)
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Joined 14 October 2020


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Joined 14 October 2020
5 FEB AT 21:32

कभी कभी समझ नही आता की
हम क्या मिस कर रहे हैं,
प्यार या परिवार
मित्र या अपना पुराना चरित्र
जिंदगी की भाग दौड़ या
बचपन की वो गलियां
वो मां के आंचल का सुकून
वो पापा की डांट का डर
वो स्कूल से आते ही बस्ते को फेंक
छत पर जाना, फिर पतंग उड़ाना
वो उड़ती पतंगों की लम्बी लम्बी डोर
वो दूसरी तरफ से आता रेलगाड़ी का शोर
न कोई टेंशन न कोई फिकर
छोटे थे पर सबसे बिड़ने का रखते थे जिगर
वो यारो की यारी वो चाय की टपरी हमारी
वो गली मोहल्ले वो अपना घर ।

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3 MAR 2023 AT 1:38

लखीरो में मेरी लिखा है गर तेरा नाम
तो तू मुझे मिल ही जाएगा
तू है गर खुदा का पैगाम
तो मुझ तक जरूर आयेगा
हर मुकम्मल ख्वाइश पूरी होगी मेरी
गर लिखा है उसने तुझे किस्मत में मेरी
और गर लिखना भूल गया होगा वो
तो अब लिखना ही होगा उसे
जब देखेगा वो मेरे जिस्म में रुह तेरी।
गर लिखना भूल गया होगा वो
तुझे किस्मत में मेरी
तो अब उसे लिखना ही होगा।।

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13 DEC 2022 AT 1:28

तुम नौकरी नहीं पर तुम्हारे बिना
बेरोजगार हूं मैं।
रोज सोचता हूं आज घर जाकर
मैं क्या करूं।।
सोने से पहले तुम्हे देखने की जो आदत है
उस लत का मैं क्या करूं।।
क्यों अटक गई हो तुम,
थोड़ा और पूरा हो जाओ ना।।
किस्सो किस्सो में आने वाला कल बन जाओ ना।
कहके देखती तो सही मैं हसाता
कभी रुलाता,कभी गुदगुदाता
कम से कम पूरा हो जाता।
अब जो चुप हो तुम तो खामोश मैं भी हूं।
अधूरी हो तुम तो अधूरा मैं भी हूं।
क्योंकि तुम नौकरी नहीं,
पर फिरभी तुम्हारे बिन बेरोजगार भी हूं।
तो मैं तुम्हे फिरसे एक बार पढूंगा,
और जो रह गया है अधूरा,
उसे पूरा करूंगा।।

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8 MAR 2022 AT 12:33

तुम बेटी हो, तुम बहना हो,
तुम पत्नी हो तुम मां हो,
तुम बच्चे के मुख से निकला,
पहला शब्द-कोष भंडार हो।।
तुम स्पर्श हो तुम एहसास हो।
तुम प्रेम का आधार हो।।
तुम हर कष्ट का निवारण।
तुम ही समाधान हो।।
तुम ही आंखों के आंसू
तुम ही कई चेहरों की मुस्कान हो।।
तुम मान हो, सम्मान हो।
तुम आन बान शान हो।।
तुम ही ममता की मूरत।
तुम ही क्रोध का भंडार हो।
तुम नारी हो वरदान हो।।

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25 JAN 2022 AT 11:44

हर बात जो मन में हो, वो कह दूं तुमसे
बिना कुछ सोचे, बिना कुछ समझे ही
जो गर, न भी कह सकूं तुमसे
तो पढ़लो मेरी आंखों को तुम।
मेरी सांसों को महसूस करो
मेरी धड़कनों को सुनलो तुम।।

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18 AUG 2021 AT 9:03

कुछ खामोसिया हैं ।
कुछ अल्फाज है।
कुछ अनकहे जज़्बात हैं ।।
कभी चुप चुप सा हूं ।
कभी चंचल सा हूं मैं ।।
कभी बिरान जमीन सा ।
कभी मुक्कमल जहान सा हूं मैं।।

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2 AUG 2021 AT 7:53

गुस्सा भी तुम पे आता है, प्यार भी तुमपे आता है।
इजहार भी तुमसे करता हूं, ऐतबार भी तुमपे आता है।
जब जब सर मेरा दुखता है,
तू मेरा माथा दावाता है, मुझे गोद में सुलाता है।
मेरे सर की चमपी कर, मेरे बालों को सहलाता है।
मै अपनी थकान तेरे बनाई गर्म चाय से मिटाना चाहता हूं।
हर सुबह उठकर इसे अपने होठों से लगाना चाहता हूं ।।

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26 JUL 2021 AT 8:32

ठंडी हवाएं तेज चल रही है।
धीमी-धीमी बारिस भी हो रही है।
मौसम इतना सुहाना है।
मानो आसमान से फरिस्ते।
उतरने वाले हों।।

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17 JUL 2021 AT 12:14

ये जो हमारी जिंदगी हैं ना, बहुत छोटी सी है
हमें नहीं पता, कल हमारे साथ क्या हो जाए
यूं मिंटो में जाने चली जाती हैं
तो क्यों अपनी इस छोटी सी जिंदगी को
किसी की बुराई करने में
किसी को परेशान करने में
किसी को इग्नोर करने में
या दुखी रहकर निकाले नहीं ना,
खुश भी रह सकते हैं ना
किसी रोते हुए को हसा सकते हैं ना
प्यार से रह सकते हैं, प्यार दे सकते हैं ना
वैसे भी इस दुनिया से जाने के बाद
बस हमारी यादें ही रह जाती हैं ना
और हमारी कहीं कुछ अच्छी बातें।।


।। #PkM #।।

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15 JUL 2021 AT 9:18

लब्ज़ो के साए में यूं तो हमेशा रहा हूं मैं
पर कुछ लब्ज़ ऐसे हैं,जो मेरी रूह को जजोड़ जाते हैं
और ऐसा नहीं के मैं उनको नज़र अंदाज़ नहीं करता
पर न जाने कितनी दफा वो मेरी आंखों में आंसू छोड़ जाते हैं।।

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