Pramod Kumar Yadav   (प्रमोद कुमार(p.k))
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Joined 5 December 2017


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Joined 5 December 2017
1 JUL AT 2:26

आपकी अनुपस्थिति में जीवन ने अनेकों रंग दिखाये
त्यौहार के बाद का खालीपन समेटना हो,
या,किसी रोज़ तन्हा होकर आँसू छुपाना हो !
आपकी कही बातें याद आती हैं तो सोचता हूँ
हम टूटा नही करते ,हर कठोर समय के बाद
होती है, अच्छे समय के आने की उम्मीद !
और इस उम्मीद की चादर ओढ़ कर
अपने कर्म पथ पर कार्यरत हूँ !!
!!माँ!!

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17 JUN AT 0:34

भ्रम की परछाई में कुछ रिश्ते धूमिल हुए
कुछ रिश्तों की वजह से मैं रोशन रहा !!

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18 MAY AT 18:14

ज़िन्दगी की कसमकस में उलझा लड़का
क्रोधित हो कुछ भी बोल देता है,
जिसे देखकर वो जीता है
उसे ही भला बुरा बोल देता है!

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25 APR AT 23:27

हाँ कुछ तो कम हुआ, कुछ तो बदल रहा
जो मेरे अंदर ख़ामोशी घर कर रही,
हाँ कुछ तो दरक रहा जो मुझे महसूस होता है
पर दिखाई नही देता, !
बातें कम हुई , सुनवाई कम और समझ भी,
हमने कभी बोला नही सिर्फ़ समझा तुमको
न कभी झगड़ा न कभी चीखा तुमको
बस तुम्हारी हर एक हरक़त पर नज़र रखा!
तुमने कभी मेरे अंदर चल रहे भूकम्प को नही समझा
न ही कभी मेरे आँखों के आँसू पोछे
न मैं कभी तुम्हारा मौन पढ़ सका ,
अब तुमसे गले मिलने तुममें सिमट जाना
एक अनचाहा संकोच है,
मेरे अंदर कुरेदता चुभता हुआ सन्नाटा
तुम्हारी उपस्थिति में भी सवाल खड़ा करता है
एक दूसरे का साथ रहते हुए हम पूरे नही हुए,
नये चेहरों के आवरण का प्रभाव या मेरी
सफ़लता का अभाव कुछ तो है
जो हम धीरे धीरे दरकते हैं, और
ये दरकता हुआ सम्बन्ध अपनी तुरपाई को
खोलते हुए एक दिन काँच के सीसे की तरह
टूट जाएगा,और एक दिन मैं
न चाहते हुए भी ख़ामोश हो जाऊँगा
कुछ न कह पाऊंगा एक लंबी चुप्पी के साथ
टूटते ह्रदय को सँभलते हुए जुदा हो जाऊँगा!!

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25 APR AT 21:56

मैंने उड़ती हुई तितलियाँ देखा
फूलों को सूंघते हुए,
उनके पराग को ले जाते हुए
फ़िर उनके बारे में केवल उनके बारे में सोचा,
हर एक तितली अन्य तितलियों के साथ रहकर
अत्यंत खिलखिला रही थी,
जैसे उन्हें मालूम था जो सुख है वह इसी क्षण है
आने वाला कल क्या घटित हो जाये पता नही,
इस पर विचार करना कितना मुश्किल है ,कि
खिलखिलाते हुए फूल एवं प्रसन्नतापूर्वक उड़ती हुई
तितलियाँ क्या मैंने देखा था,
या मेरा अतीत मुझे स्पर्श कर रहा था
या वो यथार्थ था,
या मैं उस कल्पना में डूबा हुआ था!!

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11 APR AT 22:42

कोई किसी के लिए खास तो हो सकता है
पर कुछ समय के लिए ,
नियति और समय के अनुसार सब कुछ बदलता
अपने और परायेपन का एहसास दिलाता है
तुम्हारे द्वारा किया गया पिछले कुछ दिनों का बर्ताव,
तुम्हारे प्रति मेरे विश्वास पर सवाल खड़ा करता है !!

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6 APR AT 9:34

तुम्हारा ठहराव
फ़िर बदलाव
अब तक,
मैं नही समझ पाया!
अपने समीप होके भी
तुमको दूर पाया!
तुम लौट आओ न फ़िर
बसंत की तरह,
ख़िलते है हम दोनों
फूलों की तरह और
महक जाते है अपने प्रेम में!!

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4 APR AT 13:46


अन्दर के शोर से टूट गये हैं हम
कई दरों से लुट के आये हैं हम
अपनों से अपनी बाजी हारी है
तेरे पास आके रुक गये है हम!!

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3 APR AT 0:49

मैं जिसे काज समझ अपनी बटन बनाता था
तुरपाई करके उसको अपने सीने से लगाता था
वो आपसी खिंचाव में मेरा पोशाक फट गया
जिस मैं ओढ़ कर कभी इतराया करता था!!

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20 MAR AT 13:33

पैथोलॉजी फिजियोलॉजी में खोया हुआ लड़का
आजकल तुम्हारी स्मृतियों में खोया हुआ है।

फार्माकोलॉजी की दवा याद करने वाला लड़का तुम
कितने बार प्रेम की उच्चतम पराकाष्ठा को पार की ,
तुम्हारी मध्दिम मोहनी मुस्कान के सम्मुख सब कुछ
भूल जाने वाला लड़का तुम्हें याद कर रहा है ।

ख़ुद से खुद ही परेशान है वो लड़का
जो कभी किसी का इंतेज़ार नही करता था,
वो आज इन बर्फ़ की वादियों में खोजता है तुमको ,
हॉस्टल के बाहर बैठ बेंच में तुम्हें याद कर रहा है!

उसका यूं बेख्याली में खोना याद करना, इंतज़ार करना
उसकी भटकन का इलाज़ सब सफ़ल हो जाएगा ,
जब तुम उससे मिलना तो बस गले लगाना और
झूठला देना उसकी सारी वेदनाओं और पीड़ा को!

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